DGCA के नए नियमों में ऐसा क्या है? पायलट हो गए खफा, चिट्ठी लिखकर निकाला गुस्सा

DGCA के नए नियमों में पायलटों ने अपने गुस्से को उजागर करने का तरीका ढूंढ लिया है. ये नियम 10 घंटे से अधिक समय तक विमान चलाने की अनुमति देते हैं, जिससे पायलटों में थकान बढ़ सकती है.

ALPAI ने इस नीति पर आपत्ति जताई है, लेकिन DGCA ने तर्क दिया है कि यह बदलाव उड़ान सुरक्षा से अधिक हवाई कंपनियों की क्रांति को ध्यान में रखता है. इसका मतलब है कि पायलटों को अतिरिक्त आराम दिया जाएगा, लेकिन इससे उड़ान सुरक्षा पर भारी दबाव पड़ सकता है।

इस नीति का समर्थन करने वाले कुछ पायल्टों ने कहा है कि यह बदलाव उन्हें थकान को कम करने में मदद करेगा, लेकिन विपक्ष वाले कहते हैं कि इससे उड़ान सुरक्षा पर खतरा बढ़ सकता है. वे तर्क देते हैं कि भारत में पायलटों की कमी नहीं है, इसलिए समय सीमा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं बनता.
 
अरे, यह नियम तो थोड़ा खतरनाक लगता है 🚨 पायलटों की थकान बढ़ सकती है और उड़ान सुरक्षा पर भारी दबाव पड़ सकता है. मुझे लगता है कि समय सीमा कम रखनी चाहिए ताकि पायलटों को आराम मिल सके. लेकिन, DGCA के तर्क में दूसरी तरफ भी बात करनी चाहिए. क्या हमारे पास ऐसे पायलट नहीं हैं जिन्हें थकान कम करने में मदद मिल सकती है?
 
मुझे ये नियम बिल्कुल सही नहीं लगते. 10 घंटे से अधिक समय तक विमान चलाने की अनुमति देने से पायलटों को थकान होने का खतरा बढ़ जाएगा, तो क्या इससे उनकी उड़ान सुरक्षा अच्छी रहेगी? मुझे लगता है कि अगर हमारे पास पहले से ही कम पायलटों की भरती की समस्या नहीं थी, तो समय सीमा बढ़ाने का मतलब क्या बनता? यह बदलाव हवाई कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है, लेकिन इसका मतलब पायलटों पर बोझ डालना है. मुझे लगता है कि इस नीति पर दोबारा विचार करना चाहिए. 😐
 
डीजीसीए के ये नए नियम तो मेरे लिए बहुत ही चिंताजनक हैं 🤔. 10 घंटे से अधिक समय तक विमान चलाने की अनुमति देना पायलटों के लिए बहुत थकावट का कारण बन सकता है। मुझे लगता है कि डीजीसीए ने यह बदलाव हवाई कंपनियों के आर्थिक लाभ से ज्यादा उड़ान सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। पायलटों को थकान कम करने के लिए अतिरिक्त आराम देना एक अच्छा विचार है, लेकिन इससे उड़ान सुरक्षा पर खतरा बढ़ सकता है।
 
मुझे ये नई नियम बहुत परेशान कर रहे हैं 🤕. मेरे दादाजी के बाप लोग उड़ान चलाते थे, और वो कई घंटे विमान चला सकते थे। समय सीमा बढ़ने से पायलटों को कम थकान महसूस होगी, लेकिन मुझे लगता है कि इसका मतलब उड़ान सुरक्षा पर भी खतरा पड़ जाएगा। मेरी बहन की शादी में एक विमान भर गया था, और पायलट ने 10 घंटे तक उड़ान चलाई। वो बहुत साफ सफर था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
 
🤔 ये नियम तो पूरी तरह से बेकार है! 10 घंटे से अधिक विमान चलाने की अनुमति देने से उड़ान सुरक्षा पर भारी दबाव पड़ेगा। और डीजीसीए ने कहा कि यह बदलाव हवाई कंपनियों की क्रांति को ध्यान में रखता है, लेकिन क्या वे पायलटों की सेहत को भी ध्यान में नहीं रख रहे? 🤷‍♂️ पूरे देश में पायलट कमी है, तो फिर समय सीमा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं बनता। और डीजीसीए ने यह कहा कि इससे पायलटों को आराम मिलेगा, लेकिन क्या विमान चलाने वाले मानव जीवन की गुमनामी तो नहीं रखते? 😒
 
मुझे यकीन है कि DGCA के नए नियमों में यह बदलाव से पहले सोचना चाहिए. 10 घंटे से अधिक समय तक विमान चलाने की अनुमति देना पायलटों की थकान बढ़ा सकता है और उड़ान सुरक्षा पर भारी दबाव पड़ सकता है।
 
मुझे लगता है कि DGCA को पायलटों की खूबसूरती पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें थकान से बचाने के तरीके ढूंढने चाहिए. 10 घंटे से अधिक समय तक विमान चलाने की अनुमति देना एक बड़ा जोखिम है और पायलटों को अतिरिक्त आराम नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें और भी अधिक तनाव में डालने का संदेश देगा. मुझे लगता है कि ALPAI की बात समझ में आती है और DGCA को ध्यान करना चाहिए.
 
मुझे लगता है कि DGCA ने ऐसा कदम उठाया है जिससे उड़ान सुरक्षा पर दूरदर्शिता की कमी दिखाई देती है. अगर पायलटें थक चुके हैं तो उनकी आंखें भी लाल हो जाएंगी, फिर उन्हें कैसे सुनिश्चित करेंगे कि वे उड़ान सुरक्षा के बारे में सही निर्णय लेते?
 
मुझे लगता है कि DGCA के नए नियमों में समय सीमा बढ़ने की बात में बहुत खल्लारपेशी तो नहीं आ रही है. 10 घंटे से अधिक विमान चलाने की अनुमति देने से पहले मुझे लगता है कि पायलटों की थकान पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
 
उड़ान चलाने को 10 घंटे तक जारी रखना तो सोच लीजिये... पायलटों को थकान होने दो, उड़ान सुरक्षा पर ध्यान न दिए।
 
अरे, ये नये नियम तो बहुत बड़ा जोखिम है 🚨। अगर हमारे पास भारत में पायलटों की कमी नहीं है, तो फिर 10 घंटे से अधिक समय तक विमान चलाने की अनुमति देना सोच सकते हैं? 😒 यह उड़ान सुरक्षा पर बहुत बड़ा दबाव डालेगा, जिससे पायलटों में थकान बढ़ सकती है और हवाई यात्रियों को खतरा होगा। 🛫

मुझे लगता है कि सरकार को इस नीति पर फिर से सोच-विचार करना चाहिए। हमें पायलटों की सुरक्षा और उड़ान सुरक्षा दोनों को ध्यान में रखना चाहिए, न कि केवल हवाई कंपनियों की क्रांति को ध्यान में रखना। 🚀
 
मुझे लगता है कि ये बदलाव विमान चलाने के लिए टाइमिंग पर ध्यान देने में कमजोरी को उजागर कर रहा है. अगर पायलट थक जाएं तो उड़ान सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है, तो क्या हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विमान चलाते समय पायलट सावधान रहें?
 
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