आसियान समिट में PM मोदी नहीं गए तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है । पहले तो कुछ सोचा जाता था कि अमेरिकी और भारत के बीच ट्रेड डील पर समझौता करने का मौका मिलने से PM मोदी आसियान समिट में शामिल होंगे। लेकिन फिर ट्रम्प ने दिवाली की बधाई देते हुए फोन किया तो सब रुक गया।
अब तो मुझे लगता है कि PM मोदी को अपने समय का भी थोड़ा सा इस्तेमाल करना चाहिए । आसियान समिट में मुलाकात होने की वजह से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी नहीं गए थे। तो क्यों PM मोदी ने भी ऐसा ही किया?
कोई और तरीका नहीं दिख रहा है कि PM मोदी आसियान समिट में शामिल हो सकते हैं या नहीं। अब वह वर्चुअली संबोधित करेंगे। तो फिर भी क्या फर्क पड़ेगा?