बीत गई छठ पर्व के दौरान महिलाएं 36 घंटे के निर्जला व्रत में डूबते और कल सुबह उगने वाले सूर्य को अर्घ्य देंगी। यह उनकी ऊर्जा को नमन करने का एक रूप है, जिसे बिना जीवन का अस्तित्व नहीं माना जा सकता।
विज्ञान के अनुसार, धरती पर सूर्य का गोला धूल और गैस से बनाया गया है, जो इसे जिंदा रख रहा है। लेकिन अब यह अपनी आधी उम्र में पहुंच गई है।
क्या आप जानते हैं कि 4.6 अरब वर्ष पहले सूर्य ने धरती पर आठ घंटे का दिन था, जब इसकी गति बहुत धीमी थी। समय के साथ, सूर्य की गति बढ़ गई और अब यह हमारे ग्रह को 24 घंटे में एक बार उजागर करता है।
इसके अलावा, विज्ञान बताता है कि सूर्य की ऊर्जा ने जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है। इसकी रोशनी और गर्मी ने पृथ्वी को जिंदा बनाया है, जबकि इसकी अनुपस्थिति में धरती एक ठंडी और शून्य ऊर्जा वाली जगह होती।
इसलिए, कल सुबह उगने वाले सूर्य को अर्घ्य देने से न केवल उनकी भावनाओं को व्यक्त किया जाएगा, बल्कि यह हमें याद दिलाने की जरूरत है कि सूर्य की ऊर्जा हमारे जीवन को कितना महत्वपूर्ण बनाती है।
विज्ञान के अनुसार, धरती पर सूर्य का गोला धूल और गैस से बनाया गया है, जो इसे जिंदा रख रहा है। लेकिन अब यह अपनी आधी उम्र में पहुंच गई है।
क्या आप जानते हैं कि 4.6 अरब वर्ष पहले सूर्य ने धरती पर आठ घंटे का दिन था, जब इसकी गति बहुत धीमी थी। समय के साथ, सूर्य की गति बढ़ गई और अब यह हमारे ग्रह को 24 घंटे में एक बार उजागर करता है।
इसके अलावा, विज्ञान बताता है कि सूर्य की ऊर्जा ने जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है। इसकी रोशनी और गर्मी ने पृथ्वी को जिंदा बनाया है, जबकि इसकी अनुपस्थिति में धरती एक ठंडी और शून्य ऊर्जा वाली जगह होती।
इसलिए, कल सुबह उगने वाले सूर्य को अर्घ्य देने से न केवल उनकी भावनाओं को व्यक्त किया जाएगा, बल्कि यह हमें याद दिलाने की जरूरत है कि सूर्य की ऊर्जा हमारे जीवन को कितना महत्वपूर्ण बनाती है।