मुझे लगता है कि ये बहुत ही अच्छा विचार है , लेकिन फिर भी मेरा ख्याल है कि अगर स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं तो प्रवासियों को जाने की जगह उन्हें रोकने की जरूरत है।
क्योंकि बिना किसी श्रमिक के ये ट्रेनें चलाना देश के लिए फायदेमंद नहीं होगा, और अगर हम प्रवासियों को बस कहकर भेज देते हैं तो वे कहीं जाने के बाद मुसीबत में पड़ सकते हैं।
लेकिन फिर, अगर सरकार ने सोचा है कि ये ट्रेनें लोगों को उनकी जगह से दूर करने के लिए चलाएं तो मैं समझ गया, और मुझे लगता है कि यही हमारे समाज की समस्याओं का समाधान है।
लेकिन फिर, अगर सोचा जाए तो प्रवासियों की जरूरत है, और उन्हें बस कर देने से बेहतर कोई विकल्प नहीं है तो शायद ये ट्रेनें चलाना सही विचार है।
बचपन से हमें पता चलता है कि जहां कोई कुछ नहीं मिल रहा, वहीं वह वहां से जाता गया। अब जब प्रवास में लोग देश भर में फैल गए, तो रेलवे स्टेशन पर भी यही पैटर्न दिखाई दे रहा है। ऐसा लगता है कि जब एक जगह पर सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा होता है, तब वहां से लोग जाने की तीव्र इच्छा में पड़ जाते हैं।
लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम अपने गंतव्य तक पहुंचने के दौरान कुछ न कुछ छोड़ दें। अगर सब कुछ खो देते हैं तो कहीं नहीं पहुंच पाएंगे। जैसे किसी ने अपना घर भागने से बिना किसी चीज़ को लिए गए, वहां फिर से बसाने में बहुत मुश्किल होती है।
यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है रेलवे स्टेशन पर इतनी स्पेशल ट्रेनें चलना देखकर मन जाता है, क्या हमारे देश में लोगों की संख्या इतनी बढ़ गई है? प्रवासन में लोग भाग रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि किसान, व्यक्ति, परिवार सब भाग रहे हैं, यह अच्छा नहीं है । हमें अपने देश में स्थिरता बनाए रखनी चाहिए, लेकिन यह तो बहुत आसान नहीं है, क्योंकि जो लोग पीछे रहते हैं उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है।
रेलवे स्टेशन पर इतनी सारी विशेष ट्रेनें चलने का मतलब यह है कि लोग अपने घर से दूर-दूर तक जाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं । प्रवासन में लोगों की बहुत बड़ी संख्या भाग रही है, जो रेलवे स्टेशन पर प्रकट हो रही है। यह एक दुखद स्थिति है जिसमें लोग अपने घर और परिवार के लिए मजबूर महसूस कर रहे हैं।
क्या हमारे सरकार ने कोई विकल्प नहीं खोजा है? क्या हम उन लोगों की मदद नहीं कर सकते? यह एक बहुत बड़ा सवाल है जिसका जवाब मुझे पता नहीं है। शायद हमें अपने देश में आर्थिक अवसरों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि लोग घर पर बैठकर ही अपने भविष्य को बना सकें।
क्या यह सचमुच है कि दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 30 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं? लगता है कि प्रवासन में लोग भागने की संख्या बढ़ गई है। मुझे लगता है कि सरकार ने अच्छे से योजना बनाई है ताकि वे लोगों को सही रास्ता दिखा सकें। परंतु, मुझे लगता है कि यह समस्या केवल ट्रेनों से नहीं हल हो सकती। हमें समाज में आर्थिक अवसरों के बारे में बात करनी चाहिए ताकि लोगों को घर छोड़ने की जरूरत न हो। और भारतीय रेलवे को भी उन लोगों का ध्यान रखना चाहिए जो अपनी परिवार के साथ ट्रेन में बैठने की उम्मीद कर रहे हैं।
मुझे ये बात बहुत गंभीरता से लेनी चाहिए, दिल्ली रेलवे स्टेशन पर इतनी सारी विशेष ट्रेनें चल रही हैं तो कोई भी छोटे शहरों में नौकरी करने जाने के लिए नहीं बैठेगा, या फिर यह प्रवासन के दौरान रोजगार की संभावनाएं बहुत अधिक हो गई हैं!
मुझे लगता है कि सरकार ने अच्छे सोचकर इसे स्वीकार कर लिया होगा, यानी रोजगार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए इन्हें चलाना चाहिए।
कुछ दिनों पहले मैंने एक दोस्त को नौकरी से छूट जाने की बात बताई थी, उसे खुश होने लगी थी। मुझे लगता है अगर सरकार इसे ठीक से लागू करे, तो देश भर में रोजगार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा।
मुझे खुशी है कि सरकार ने प्रवासी समस्या को हल करने के लिए इस तरह की स्पेशल ट्रेनों की सुविधा दी है, लेकिन कुछ सवाल अभी भी मेरे मन में हैं। क्या ये स्पेशल ट्रेनें वास्तव में प्रवासियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में मदद कर रही हैं? या फिर यह एक छोटा सा समाधान है जिसे हमारे देश की विशाल जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं माना गया है?
दोस्तों इस समय दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बहुत ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं , और यह बात सच है कि प्रवासन में लोग देश भर में भाग रहे हैं। मेरी राय में इस समय हमारे देश को अपने लोगों की वापसी की जरूरत है, परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि हम जानबूझकर उनकी जरूरतों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
जैसे की कहा जाता है - 'सदगुरु वासुदेव' यानी सारा देश एक परिवार की तरह है, और हमें अपने देश के लोगों की भलाई को सबसे पहले ध्यान में रखना चाहिए। इसलिए जब भी हमारे पास ऐसे मौके मिलें तो वहां से वंचित लोगों को सहारा देने की जरूरत है।
मेरे दोस्त, यह बात थोड़ी गंभीर हो गई है... 30 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चलने की बात करें, यह तो दिल्ली रेलवे स्टेशन को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा। पहले भी वहां पर यातायात नियंत्रण की समस्या है, अब यह तो एक बड़ा माहौल बन जाएगा।
मुझे लगता है कि सरकार और रेलवे विभाग को इस बात पर सोचना चाहिए कि हमें इन ट्रेनों को और कैसे चलाया जाए। तो कि प्रवासियों की मदद के साथ-साथ यातायात नियंत्रण भी बना रहे। क्या सरकार को पता है कि 30 से ज्यादा ट्रेनें चलने से हमारे देश के अन्य शहरों में भी रेलवे स्टेशन पूरी तरह से बंद कर दिए जाएंगे?
मैं समझता हूं कि प्रवासी लोगों को उनके निवासन के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक तरीके से जाने की जरूरत है, लेकिन इसे लेकर हमें बहुत ही सावधानी बरतनी चाहिए।
मानो तो ये बहुत अच्छा विचार था कि हम अपने घरों से जुट कर एक बिल्कुल भी चिकनी चाटी वाले कक्ष में जाकर बस लगाते... लेकिन तो फिर देश भर के लोग तो दिल्ली आ रहे हैं!
तो क्या हमारी रेलवे स्टेशन को भी एक स्पेशल ट्रेन सेवा पर चलानी चाहिए जिसमें प्रवासियों के लिए खास सीटें और सब्जी वाले विकेट शामिल... तो देखें, ये मेरी सोच ही भूल गई।
मुझे लगता है कि प्रवासन में लोग ज्यादा भाग रहे हैं क्योंकि सरकार ने उनकी गाड़ियों पर टैक्स नहीं लगाया... मजाक में तो कह सकते हैं कि ये प्रवासी हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं।
लेकिन फिर भी, तो दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 30 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चलना थोड़ा अजीब है। तो शायद हमें अपने घरों को बेहतर बनाने की जरूरत है, या फिर बस एक सार्थक विकल्प खोजने की जरूरत... जैसे कि पंजाब में शादियों के लिए।