DU छात्रा पर एसिड अटैक से स्टूडेंट्स में रोष, NSUI और SFI का प्रदर्शन, ABVP की पुलिस से यह मांग

दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा पर दिनदहाड़े एसिड फेंका गया, जिसके बाद छात्रों में रोष बढ़ गया है और कई संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।

रविवार को अशोक विहार इलाके में लक्ष्मीबाई कॉलेज के पास इस वारदात की सुबह एक बाइक सवार ने छात्रा पर एसिड फेंक दिया, जिससे उसके चेहरे पर घाव आये, लेकिन उसकी हालत स्थिर है।

इस हमले में आरोपी था जितेंद्र, जो मुकुंदपुर इलाके में रहता था। पुलिस के अनुसार, दोनों के बीच करीब एक महीने पहले कोई झगड़ा हुआ था, जिसके बाद जितेंद्र ने छात्रा पर परेशानी करना शुरू कर दिया।

आज छात्राओं में यह हमला सिर्फ एक अपराध नहीं बल्कि 'प्रशासनिक असंवेदनशीलता और सरकारी विफलता' का प्रतीक है।

राजधानी में महिलाओं पर इस तरह के हमलों को देखते हुए लोगों की नाराजगी साफ झलक रही है, क्योंकि बार-बार ऐसे मामलों के बाद भी सुरक्षा के हालात नहीं बदल रहे.

इस घटना के बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और 'दिल्ली की बेटियां कितनी सुरक्षित हैं?' जैसे सवाल फिर से गूंजने लगे।
 
क्या लगता है कि दिल्ली की बेटियों को पहले भी एक सवाल होना चाहिए था, 'दिल्ली की बेटियां कितनी सुरक्षित नहीं हैं?' 😂 कुछ लोग सोचेंगे कि यह सवाल थोड़ा अलग देखने लगेगा जैसे किसी मार्शमैलो को फिर से फ्लेवर देने की कोशिश कर रहे हों। लेकिन सच्चाई तो यही है - हमें इन हमलों के पीछे कारण ढूंढना चाहिए, न कि केवल संगीत में गाना। और अगर सुरक्षा की बात करते हैं तो पहले लोगों की सुरक्षा की बात करें, न कि किसी एक इंसान की सुरक्षा, जैसे कि पुलिस ने यहां दिखाया।
 
दिल्ली विश्वविद्यालय में ऐसा हमला घटाना तो एक बड़ा अपराध है, लेकिन प्रशासन की असंवेदनशीलता और सरकारी विफलता की बात करने से मुझे परेशानी होती है 🤕। हमें पता चला है कि जितेंद्र ने छात्रा पर हमला करने से पहले एक महीने तक उसके साथ झगड़ा कर रहा था, लेकिन पुलिस को यह नहीं पता था। इस तरह की विफलताओं को देखते हुए, मुझे लगता है कि हमें अपने शिक्षा प्रणाली में सुधार करने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाएं न हों।
 
😔 इस देश में लड़कियों पर ऐसे हमले हो रहे हैं, तो फिर हमें सोच-समझकर नहीं करना चाहिए कि सब अच्छा है, लेकिन अगर नहीं, तो शायद हमारी बात सुनें। लड़कियों की सुरक्षा तो सबसे बड़ी जरूरत, ना?
 
मुझे बहुत दुख हो रहा है यह दिल्ली विश्वविद्यालय में हुआ एक घटना। एक छात्रा को एसिड फेंकने की बात मुझे बहुत दुखी करती है। मैं तो सोचता हूं कि सरकार और प्रशासन हमेशा सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।

क्या यह इतना आसान है कि एक लड़की पर एसिड फेंकने के लिए कोई दिनदहाड़ी चलने लगता है? क्या हमें अपनी लड़कियों को ऐसे खतरों से बचने के लिए पुलिस और सरकार की तैनाती नहीं करनी चाहिए?

मैं जानता हूं कि हर शहर में यही समस्या होती रहती है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय में ऐसी घटना होने से मुझे बहुत दुख हुआ। हमें अपनी लड़कियों को और भी सुरक्षित बनाने की जरूरत है।

मैं जितेंद्र को पुलिस में पकड़ना चाहता हूं और उसके खिलाफ कड़ी सजा देना चाहूंगा। लेकिन सबसे ज्यादा मुझे सुरक्षा के बारे में सोचकर यह आफत हुई।
 
तो देखो इस दुनिया में क्या होता है! 😒 एक छात्रा को एसिड फेंकने की बात करो, और तुरंत विरोध प्रदर्शन शुरू हो जाते हैं। यहाँ तक कि सुरक्षा की बात करने पर भी लोग कह रहे हैं कि दिल्ली की बेटियां कितनी सुरक्षित हैं?! 🤣 यह तो एक मजेदार सवाल है, लेकिन क्या वास्तव में इसका जवाब मिलता है?

मुझे लगता है कि यह घटना एक बड़ा चेतावनी संकेत है। अगर हमारे पास सुरक्षा के साथ-साथ शिक्षा और आर्थिक अवसरों को भी देने की क्षमता नहीं है, तो क्या हम वास्तव में अपने बच्चों को एक सुरक्षित भविष्य प्रदान कर सकते हैं? यह सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है।

लेकिन फिर भी, यह घटना ने हमें एक बात सुनने की जरूरत है - हमारी सरकार और प्रशासनिक सुविधाओं में सुधार करने की जरूरत है। हमें अपने बच्चों को एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य देने के लिए काम करना चाहिए।

आइए, इस घटना के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश करें और हमारे बच्चों के भविष्य के लिए कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाने का संघर्ष करें।
 
तो यह भी ऐसा हुआ ? कोई लोग तो लगता है कि दूसरों की जान जोखिम में रखने का खेल बहुत मजाक है। चाहे छात्रा की हालत स्थिर हो, लेकिन यह हमला इतना आसानी से भूल नहीं सकता। और फिर तो पुलिस क्यों नहीं थी, न जाने शायद वह एक मामला से दूसरे में भ्रमित हो गया।
 
तो यह तो बहुत ही दुखद घटना है, एक छात्रा पर एसिड फेंकने से इतनी भावनात्मक दुर्भव और दर्द हुआ है।

अगर कोई लड़की जीवन में ऐसे लोगों से खिलवाड़ होने का सामना करती है तो उसके परिवार का मन भी पागल हो जाता है और हम सभी का मन भी पागल हो गया है।

क्या इस तरह की घटनाएं लगातार होने की वजह से लोगों की नींद बुझ नहीं रही है?
 
ये तो बहुत ही दुखद घटना है 🤕। छात्रा की सुरक्षा पर पुलिस और सरकार की विफलता को देखकर मैं बहुत उदास हूँ। ये हमले न केवल एक व्यक्ति की जान जोखिम में डालते हैं, बल्कि समाज के सामूहिक विचलयन को भी बढ़ावा देते हैं।

राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा पर सरकार की प्रतिबद्धता कमजोर होने की बात तो बहुत सुनने को मिलती है, लेकिन सच्चाई यह है कि कुछ ऐसे व्यक्तियों को चिंतित करने की ज़रूरत नहीं कि सरकार ने या पुलिस ने क्या किया?

यदि हम अपने देश की सुरक्षा और समाज की शांति को महत्व देना चाहते हैं, तो हमें इस तरह की घटनाओं के पीछे कारणों को समझने और उनका समाधान ढूँढ़ने की जरूरत है।
 
😔 यह घटना तो बहुत ही दुखद है, एक छात्रा पर एसिड फेंकना और उसके चेहरे पर घाव करना... यह क्या काम है? 👎 पुलिस की जांच करनी चाहिए कि यह हमला कैसे हुआ और इसके लिए कौन जिम्मेदार था। 🤔

मैं तो समझती हूँ कि एक महीने पहले भी दोनों के बीच झगड़ा हुआ था, लेकिन यह इतना गंभीर नहीं होना चाहिए। 😕 सरकार और प्रशासन को महिलाओं की सुरक्षा के लिए जरूर कुछ करना चाहिए, न कि बस तालियाँ देना और बोल-बोलकर दर्शकों को मनाना। 🙄

आज छात्राएँ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, जो ठीक है, लेकिन सरकार को जरूर सुनना चाहिए और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कुछ करना चाहिए। 🙏 दिल्ली की बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए हमें एकजुट होना चाहिए। 💪
 
बीच से भी तो देख लेता है यार! दिल्ली विश्वविद्यालय में ऐसी घटनाएं होने का मतलब यह नहीं है कि छात्रों की जान बचाई जा रही है। हमेशा से ही बाइक सवार और फिर भी पुलिस ठिकाने पर जाकर तो घबराहट में फंसते हैं।

क्या सरकार थोड़ी सी देखभाल करेगी या नहीं? यह तो कुछ समय पहले से चली आ रही समस्या है, लेकिन अभी भी ऐसी घटनाएं होती जा रही हैं। छात्राओं को खुद बचने पड़ रहा है!
 
मुझे बहुत दुख हुआ ये घटना। तो होता है एक छात्रा पर एसिड फेंका गया, तो वह चेहरे पर घाव आये, लेकिन शायद इसकी बात नहीं होती, अगर उस पर किसी ने ध्यान दिया हो। यह बहुत ही अजीब और दुखद है। पुलिस भी इतने समय से कर रही थी कि कोई ऐसी घटना न हो।

किसी ने तो नहीं याद किया, कि कैसे बाइक सवार उसे धमकाया क्या और कहा। लेकिन शायद यह भी ही कारण है, जो यह सामान्य पन्ना बन गया है। हमें खुद पर विश्वास करना चाहिए, और कभी ना ही अपने आसपास की बातों में पड़ें।

हमें अपनी सुरक्षा की बात करनी चाहिए। सरकार भी तो हमेशा अपनी छवि बनाने की कोशिश करती है, लेकिन जब यह घटनाएं होती हैं, तो सभी देखते हैं कि, क्या हुआ, और उनके पास जानकारी नहीं हो।

आजकल हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा की बात करनी चाहिए। हमें अपनी संस्कृति में भी यह बदलाव लाना चाहिए, ताकि हम सभी एक साथ खड़े हो सकें।
 
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