CJI पर जूता फेंकने वाले पर अवमानना कार्रवाई नहीं: सुप्रीम कोर्ट बोला-वकील को महत्व न दें; ऐसी घटनाएं रोकने के लिए गाइड लाइन पर विचार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा, 'यह दृश्य समाज के लिए खतरा है, इसलिए हमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन तैयार करने पर विचार करना चाहिए।
 
मुझे ये बात बिल्कुल सही लगती है 🤝, जैसे ही हमारा देश हर हफ्ते कुछ नई समस्याओं का सामना कर रहा है 🚨, तो सरकार और अदालतें मिलकर इस तरह की घटनाओं को रोकने की कोशिश करनी चाहिए 💪। हमारे देश में बहुत से लोग ऐसी घटनाओं का शिकार होते रहते हैं 🤕, इसलिए सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है और गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए जिससे इन तरह की समस्याओं को रोका जा सके 📝
 
मेरा मन एकदम धुंधला हो गया 🤯 जब मैंने सुना कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यह दृश्य समाज के लिए खतरा है। मुझे लगा की इस तरह की घटनाएं हमारे देश को ज्यादा बुरा करने वाली नहीं हैं। लेकिन फिर भी, यह सुनने पर मेरा मन तो हुआ 🤔। हमें ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन बनानी चाहिए। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हर देश के नियम और कानून अलग-अलग होते हैं। मुझे उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को अच्छी तरह से सोचा होगा।
 
अरे, मुझे यह सुनकर बहुत दुःख हुआ कि ऐसा हाल हो रहा है। जैसे-जैसे हम आधुनिकता की ओर बढ़ रहे हैं, लोगों के बीच धमकी देना और खतना करना आम बात बन गई है। यह तो एक बड़ा मुद्दा है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा, हमें ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन बनानी चाहिए।

मेरा विचार है कि हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, लोगों को सोशल मीडिया पर ऐसे विचारों के खिलाफ जागरूक करना चाहिए। हमें अपने समाज में बदलाव लाने की जरूरत है। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अपने आसपास के लोगों से बात करनी चाहिए, उन्हें समझाना चाहिए कि ऐसी घटनाएं कभी भी सही नहीं हो सकती हैं।
 
अरे यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है 🤯 सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह दृश्य समाज के लिए खतरा है, मतलब की हमारे समाज में ये तरह की घटनाएं बहुत आम हो गई हैं और फिर स्कूलों में भी ऐसा होने लगा है। 🤕

मेरा कहना है कि सरकार और स्कूल प्रशासन को एक साथ मिलकर कुछ करना चाहिए, शिक्षकों को जरूरी बनाना चाहिए कि वे अपने छात्रों को यहां तक पहुंचाएं कि वे जो भी कह रहे वह सही हो। और सरकार से अनुशासन के प्रमाण पत्र देने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए, ताकि हर व्यक्ति को सम्मान मिले।
 
अरे भाई, यह बात सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ 🤕। ये ऐसी घटनाएं कभी नहीं होनी चाहिए जिसमें कोई बच्चा इतनी हानि का शिकार करे। पुलिस और सरकार दोनों को जरूर इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। मुझे लगता है कि ये घटनाएं होती रहती हैं क्योंकि लोगों के बीच समझौता नहीं हो पाता। हमें एक दूसरे की जरूरतों को समझना और समाज में शांति बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। पुलिस और सरकार को जरूर इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए और हमें एक दूसरे के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए ❤️.
 
ये तो बहुत ही दुखद बात, मैं समझ नहीं पाऊंगा कि क्यों ऐसे निशाने पर आने को मजबूर किया गया। अगर वह लड़का इतना गलत था, तो चोरी या डकैती जैसे मामले में होने वाली घटनाओं से कम दुखद नहीं लगता। मैं सोचता हूँ कि हमारी न्यायपालिका भी ऐसी तरह के मामलों को हल्के-फुल्के मान रही है।
 
मैंने सुना कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह दृश्य समाज के लिए खतरा है। मुझे लगता है कि हमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सोच-समझकर गाइडलाइन तैयार करने पर विचार करना चाहिए। 🤔

मेरी बेटी की बात हो तो, वह हमेशा से कह रही थी कि दिल्ली में रास्तों में ऐसे मोमबत्ती लगाने से लोगों को नुकसान होता है। और फिर भी, हमें उनकी बात नहीं मानते और उन्हें समझ नहीं पाते। 😢

लेकिन अगर हम गाइडलाइन तैयार करते हैं और लोगों को जागरूक करते हैं, तो शायद इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। मुझे लगता है कि हमें अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए सोच-समझकर काम करना चाहिए। 💡
 
भ्रष्टाचार और अनियंत्रित स्थिति में फंसे लोगों का सहारा नहीं मिल रहा, जो कि बेहद दुखद है 🤕. ये तो हमारी भयानक समस्याओं में से एक है, जहां हमें अपने-अपने अधिकारों का लाभ उठाने के बजाय, सरकार और न्यायपालिका दोनों के बीच धोखाधड़ी को रोकने की जरूरत है।
 
राज्यों में स्कूलों और कॉलेजों में फंस गई युवाओं की समस्या के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। ऐसी गलतियों को रोकने के लिए गाइडलाइन तैयार करना अच्छा विचार होगा, लेकिन यह सवाल उठता है कि सरकारें या शिक्षा मंत्रालय से पहले से ही इस तरह की समस्याओं को रोकने की कोशिश कर रहे थे।
 
बोलते बोलते मैंने सोचा कि फिर भी पुलिस क्यों नहीं थक रही, यार क्या होता है यह दृश्य? पहले से ही सब पता लगाने के लिए कितने व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया गया, और फिर भी कुछ लोग फंस गए! 🤦‍♂️

अगर हमारे देश में ऐसी घटनाएं न होतीं, तो ये दृश्य कभी नहीं होते। हमें एक साथ मिलकर इस तरह के सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूँढना चाहिए, ताकि किसी भी अनजाने व्यक्ति को यहां तक पहुँच नहीं पाये। मुझे लगता है कि अगर हमारे देश के सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में कुछ बदलाव आ जाए तो यह सब चीजें आसानी से निपट सकती हैं! 💡
 
बात है यह मामला, जो देखने को मिल रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है समाज के लिए खतरनाक यह दृश्य रोकने की गाइडलाइन तैयार करना चाहिए। लगता है जैसे सरकार भी यकीनी कर रही हो कि अगर ऐसी घटनाओं को साफ कर दिया जाए तो समाज में शांति फैलेगी। लेकिन देखो, गाइडलाइन बनाने की बात कहीं तक सही नहीं है। सरकार को यह तय करना होगा कि कौन सी घटनाओं को रोकना चाहिए और कैसे। और फिर उन्हें लागू करना होगा। ऐसा तो एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
 
अगर ऐसी घटनाएं बिना किसी सख्त कानून के हो सकती हैं तो यह बहुत खतरनाक है… 🚨 सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा यह दृश्य समाज के लिए बड़ा खतरा है, इसलिए हमें गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों।

मुझे लगता है कि सरकार और पुलिस दोनों को साथ मिलकर इसका खासा ध्यान रखना होगा। सरकार को ऐसी बातों पर विचार करना चाहिए जिससे लोगों को कभी भी डरा नहीं हो। अगर हमें एक साथ मिलकर काम करें तो हम इस तरह की घटनाओं को रोक सकते हैं।

लेकिन सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिसमें लोगों ने भाग लिया था वहां पर सुरक्षा तंत्र में बदलाव करना जरूरी है। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो फिर यह घटनाएं और बढ़ सकती हैं। 🚫
 
बस सुप्रीम कोर्ट ने बात कही कि ये दृश्य समाज के लिए खतरा है, फिर भी यह नहीं समझ रही कि कैसे यह रोका जाए? हमें गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए, लेकिन फिर भी सरकार को कुछ करना होगा, ना कि बस कहकर बात करें।
 
आज सुप्रीम कोर्ट की बहुत बड़ी बात हुई, जैसे मैने देखा 😕 मामले की सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह दृश्य समाज के लिए खतरा है। मुझे लगता है कि सच ही, हमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए। इससे आगे से ऐसी हिंसक घटनाएं न हों और समाज में शांति बनी रहे। सरकार भी इस पर ध्यान देनी चाहिए, मुझे लगता है कि अगर हम गाइडलाइन तैयार करेंगे, तो आगे से ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।
 
कोर्ट ने कहा है कि यह दृश्य समाज के लिए खतरा है, तो हमें फिर सोचना होगा की बिना गाइडलाइन के जैसी घटनाएं कैसे घटती हैं? क्या हमें अपने बच्चों को पता नहीं चला की उनके दिमाग में ऐसा हो सकता है? यह तो सचमुच गंभीर बात है।
 
कोर्ट जैसी बातें मैं समझता हूँ, लेकिन ज्यादा नहीं 🤔. समाज में यह दृश्य आ रहे हैं, और कुछ हद तक उनको रोकना जरूरी है, लेकिन उन्हें पूरी तरह से मिटाने की कोशिश करना आसान नहीं है। हमें समझना चाहिए कि ये घटनाएं अक्सर एक जटिल समस्या की परत को दर्शाती हैं, और उनका समाधान आसान नहीं होगा।
 
मैंने सुना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये घटनाएं समाज के लिए खतरनाक हैं और हमें उनसे निपटने के लिए कुछ गाइडलाइन बनानी चाहिए। मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है, लेकिन इसके पीछे क्या कारण हैं? क्या हमारे समाज में ऐसी घटनाएं होने की वजह से हमें तैयार नहीं रहना चाहिए?

मुझे लगता है कि हमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए न केवल गाइडलाइन बनानी चाहिए, बल्कि हमें अपने समाज में जागरूकता फैलानी भी चाहिए। हमें लोगों को बताना चाहिए कि ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या करना है। 🤔
 
रोज़ मैं स्कूल जाता हूँ और देखता हूँ कि शिक्षकों और अभिभावकों को बहुत कुछ करना पड़ता है ताकि हमारे स्कूल में ऐसी घटनाएं न हों। सुप्रीम कोर्ट की बात सुनकर अच्छा लगा, लेकिन मुझे लगता है कि यह गाइडलाइन तैयार करने पर विचार करना जरूरी है। हमारे देश में बच्चों की शिक्षा और भविष्य को बहुत महत्व दिया जाता है, इसलिए हमें ऐसी घटनाओं से बचने के लिए तैयार रहना चाहिए।
 
क्या यह सचमुच सुनकर आंसू आ गए 🤕, इन दिनों जो हो रही है उससे दूर नहीं भाग सकते। यह घटना कितनी गंभीर है, तभी हमें विचार करना चाहिए कि इतने बड़े मामलों में सामाजिक नियंत्रण कब लाना होगा, लेकिन फिर भी हमें इस तरह के मामलों को रोकने के लिए एकजुट होना होगा। दृश्य की याद तो सभी को दिल में रखी हुई है और हमें अपने समाज को सुरक्षित रखना होता है, तभी हम यह निर्णय ले सकते हैं कि आगे क्या करना है।
 
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