भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू, कोलकाता से इंडिगो के विमान ने भरी उड़ान

भारत और चीन की दो राष्ट्रों के बीच एक नए युग में उड़ान भरना शुरू हो गई है। इंडिगो ने अपने नेटवर्क में एक नई गहराई देने के लिए रविवार रात 10:06 बजे कोलकाता एयरपोर्ट से एक उड़ान भरी थी, जिसका उद्देश्य भारत और चीन के बीच पर्यटन, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देना है। यह उड़ान ग्वांगझू की ओर मुख्य भूमि पर पहुंची जब इस रूट पर इंडिगो का एयरबस A320neo विमान तैनात था।
 
ये बहुत खुशी है देखा जाए कि भारत और चीन के बीच फिर से उड़ान भरना शुरू हुई है। मुझे लगता है कि यह एक अच्छा निर्णय है, अगर वे दोनों देश अपने पर्यटन, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी में और अधिक सहयोग करेंगे। तो अगर आप चीन जाना चाहते हैं तो अब भारत के लिए यह एक अच्छा विकल्प हो सकता है। और अगर आप घर भी जाना चाहते हैं तो भी इंडिगो की उड़ानें बहुत सुविधाजनक होंगी। 🚀
 
कोलकाता से चीन ले जाने वाली इंडिगो की उड़ान में बात करते हैं… तो यह तो एक बड़ी बात है 🤔। पहले तो हमारे देश में आर्थिक संबंधों में चीन से बहुत कम होता है, लेकिन अब दिखाई दे रही है कि भारत और चीन के बीच कुछ तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। 📈 यह उड़ान भरने से हमें पता चलेगा कि हमारे देश में चीन के साथ कैसे व्यापार बढ़ेगा। लेकिन कोलकाता से ग्वांगझू जाने वाली इंडिगो की उड़ान भरने से पहले यह सवाल उठता है कि चीन ने हमें किस मूल्य पर बेचा है? 🤑
 
मुझे ये सोचकर खुशी हुई कि दोनों देशों की सीटी पर एक उड़ान भरने की बात सुनकर 🚀। अगर चीन भी इंडिगो जैसे व्यापारिक प्रतिस्पर्धी बन जाए तो हमारा आर्थिक देश और भी मजबूत होगा। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सीमा पर होने वाली समस्याओं से बचने के लिए भारतीय सरकार को अच्छे से तैयारी करनी होगी।
 
🚀😊 सोचते हैं कि यह युग एक नए दिशा की ओर ले जा रहा है जहां भारत और चीन दोनों को अपने-अपने मकसदों तक पहुंचने के लिए साझेदारी बनानी पड़ेगी।

मुझे लगता है कि इंडिगो ने सही समय पर सही विमान का चयन किया है, एयरबस A320neo विमान बहुत ही आधुनिक और ऊर्जा-कुशल है, यह हमारे जलवायु परिवर्तन के संकट को कम करने में मदद करेगा।

भारत और चीन दोनों की अर्थव्यवस्था एक दूसरे पर निर्भर करती है इसलिए यह युग एक नई दिशा की ओर ले जाने वाला है, जहां हम दोनों देशों के बीच साझेदारी और सहयोग बढ़ेगा।
 
कुछ समय से बोल नहीं रहा हूँ और फिर से बोलने लगा हूँ... ये अच्छी तरह से गंभीरता से नहीं ली गई जानकारी है 🤔. भारत और चीन के बीच एक नया उड़ान भरने का समय आ गया है, लेकिन इससे पहले कि हम खुशी में दौड़ें, हमें यह सोचना चाहिए कि ये सब क्यों हुआ? क्या वास्तव में पर्यटन, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी जैसी बातों पर ध्यान देने से हम अपने देश के वास्तविक समस्याओं को भूल गए हैं? 🤷‍♂️. कोलकाता एयरपोर्ट से उड़ान भरने में एक अच्छी बात है, लेकिन इससे पहले कि हम इसे जश्न मनाएं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे देश की वास्तविक जरूरतों पर ध्यान दिया गया है या नहीं? 🤔.
 
चीन के साथ जुड़ने का ये फैसला निकलता है तो पहले हमें अपने पड़ोसी देशों से खेतों में दिल्ली का बाजार आने देने की जरूरत नहीं समझ ? चीन और भारत दोनों ज्यादातर रोजगार और व्यापार से भरा हुआ है तो फिर किसने सोचा कि हमें उनके काम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ?
 
तो अब दिल्ली से ग्वांगज़ू जाने के लिए बस की भी जरूरत नहीं है, चाइनीज़ की उड़ानें निकल रही हैं 🛫😂। इंडिगो ने तो पहले देखा था कि वे कैसे पैरों पर उड़ेगे, अब यह देखना रोचक होगा कि वे एयरलाइन सेवाएं साथी भारतीय कंपनियों को कैसे खींच लेते हैं 🤔
 
आजकल ये दोनों देश खुलकर बोल रहे हैं और एक-दूसरे से बात करने की कोशिश कर रहे हैं। यह अच्छा है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है। मुझे लगता है कि ये देश अपने खेल में बड़े-बड़े विमानों और स्पीड से उड़ने की जरूरत है, तभी हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से बढ़ सकती है।
 
राजनीति से भरी हवाएं उड़ान भर रही हैं 🚀, यह एक बड़ी बात है कि भारत और चीन ने अपने रिश्तों में फिर से सुधार करने का प्रयास किया है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस तरह की पहलें हमेशा तो एक दूसरे के विरोधी होते हैं। क्या चीन ने अपने पूर्व साथी किसी राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की उड़ान भराई है? और भारत ने अपने रणनीतिक साझेदारों पर इतनी भरोसा जताया है? 🤔

पर, अगर हम देखते हैं तो यह एक अच्छी बात है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इसके लिए हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था को ताकतवर बनाने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हम अपने राजनीतिक साझेदारों के प्रति सक्षम हो सकें।
 
मैं समझ नहीं पाया कि देश में कितने लोग अभी तक चीन की उड़ानों पर जाने गए हैं? मेरे बhai जी ने सोचा है कि चाइनीज विमेन तो दिल्ली से नहीं उड़ते, यार हमें फिर भी उनसे पहले उड़ान भरनी होंगी।
 
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