कुरनूल का यह भयानक हादसा, जिसमें बस में आग लगने और 20 लोगों की मौत हो गई, पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस घटना ने एक बड़ा सवाल उठाया है - कि क्या सड़क पर फिसलन होने की घटना के बाद तुरंत पुलिस और बस चालक की जांच की जाती है?
पुलिस अधीक्षक विक्रांत पाटिल ने बताया है कि शिवा शंकर एरी स्वामी को तड़के 2 बजे लक्ष्मीपुरम गांव से बाइक से निकलने जा रहे थे. उन्होंने बताया, ‘जब वे चिन्ना टेकुरु गांव के पास पहुंचे, तो उनकी बाइक सड़क पर फिसल गई और शिवा शंकर दाईं ओर गिरकर डिवाइडर से टकरा गया. इस मौके पर ही उसकी उनकी मौत हो गई, जबकि स्वामी को हल्की चोटें आईं थी.’
पुलिस ने बताया कि एक दिन पहले भी शिवा शंकर की बाइक हादसे का शिकार हुई थी, जब उनकी बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी. पुलिस अधीक्षक ने बताया, ‘जब स्वामी ने शिवा शंकर को सड़क के बीच से खींचकर किनारे किया और उनकी सांस चेक की तो उसने पाया कि उसकी मौत हो चुकी है. इसके बाद जब उसने बाइक को किनारे करने की कोशिश की, तभी बस ने उसे रौंद दिया और कुछ दूरी तक घसीटते हुए ले गई.'
शिवा शंकर की मौत की वजह से सवाल उठ रहा है कि क्यों पुलिस और बस चालक को तुरंत जांच नहीं की गई. इसके अलावा, स्वामी की भी हल्की चोटें आईं थीं, लेकिन क्यों उन्हें पहले से ही घटना स्थल पर जाने दिया गया.
इस दुर्घटना ने हमें सवाल उठाया है कि क्या हमारी सरकार तेजी से मोड़ लेने की बात करती है, लेकिन वास्तविकता को सही समझ नहीं पाती.
पुलिस अधीक्षक विक्रांत पाटिल ने बताया है कि शिवा शंकर एरी स्वामी को तड़के 2 बजे लक्ष्मीपुरम गांव से बाइक से निकलने जा रहे थे. उन्होंने बताया, ‘जब वे चिन्ना टेकुरु गांव के पास पहुंचे, तो उनकी बाइक सड़क पर फिसल गई और शिवा शंकर दाईं ओर गिरकर डिवाइडर से टकरा गया. इस मौके पर ही उसकी उनकी मौत हो गई, जबकि स्वामी को हल्की चोटें आईं थी.’
पुलिस ने बताया कि एक दिन पहले भी शिवा शंकर की बाइक हादसे का शिकार हुई थी, जब उनकी बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी. पुलिस अधीक्षक ने बताया, ‘जब स्वामी ने शिवा शंकर को सड़क के बीच से खींचकर किनारे किया और उनकी सांस चेक की तो उसने पाया कि उसकी मौत हो चुकी है. इसके बाद जब उसने बाइक को किनारे करने की कोशिश की, तभी बस ने उसे रौंद दिया और कुछ दूरी तक घसीटते हुए ले गई.'
शिवा शंकर की मौत की वजह से सवाल उठ रहा है कि क्यों पुलिस और बस चालक को तुरंत जांच नहीं की गई. इसके अलावा, स्वामी की भी हल्की चोटें आईं थीं, लेकिन क्यों उन्हें पहले से ही घटना स्थल पर जाने दिया गया.
इस दुर्घटना ने हमें सवाल उठाया है कि क्या हमारी सरकार तेजी से मोड़ लेने की बात करती है, लेकिन वास्तविकता को सही समझ नहीं पाती.