बंगाल में SIR के ऐलान से पहले 200 से ज्यादा अधिकारियों के ट्रांसफर, BJP ने EC से की शिकायत

चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने की घोषणा की है. इस ऐलान से पहले ही ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में कई जिलों के डीएम, एसडीएम समेत 200 से अधिक अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया है.

इस बड़े तबादले में 235 अधिकारी शामिल हैं, जिनमें 17 जिलाधिकारी, 22 अपर जिलाधिकारी, 45 उपखंड अधिकारी और 151 बीडीओ हैं. यह हालिया समय में सबसे बड़ा तबादला है. इस पर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है और आरोप लगाया है कि ये 'अनियमित तबादले' चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना किए गए थे.

भाजपा नेता सजल घोष ने कहा, 'ममता बनर्जी को लगता है कि इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने और मतदाता सूची से बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं के नाम हटाए जाने के बाद उनकी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इसलिए, वह आखिरी समय में इतनी बड़ी संख्या में फेरबदल कर इस प्रक्रिया को बाधित करने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं.'

तृणमूल कांग्रेस आईटी प्रकोष्ठ प्रमुख देबांग्शु भट्टाचार्य ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा, 'प्रशासन में इस तरह के तबादले साल भर नियमित तौर पर होते रहते हैं. कोई कारण नहीं है कि इसके और SIR की घोषणा के बीच कोई संबंध जोड़ा जाए. यह केवल विरोध के लिए विरोध है.'

इस बड़े तबादले ने बंगाल में चुनाव प्रक्रिया को खतरे में डाल दिया है. इस पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है और दोनों दलों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं.
 
🚨 बंगाल में चुनाव प्रक्रिया को खतरे में डालने वाला यह बड़ा तबादला मेरी जुबान से भी नहीं निकलता. 200 से अधिक अधिकारियों को ट्रांसफर कर देने से पहले मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने की घोषणा हुई थी. यह चुनाव आयोग के लिए बहुत बड़ी समस्या है कि इस तबादले को और SIR की घोषणा के बीच कोई संबंध नहीं जोड़ा गया. अब भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है और आरोप लगाया है कि यह अनियमित तबादला चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना किया गया था.
 
अरे मित्र 🤔, चुनाव आयोग का यह ऐलान देखकर तो थोड़ा चिंतित हूँ 😬। सब कुछ ठीक-ठाक होना चाहिए, लेकिन लगता है कि कुछ भी सही नहीं ह 💸। मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले पहले देश में कई जिलों में बड़े तबादले क्यों हुए? 🤔 यह सब कुछ चुनाव आयोग को पता तो नहीं था या इसने इसकी जानकारी साझा नहीं की? 📣

और भाजपा नेता सजल घोष का आरोप लगाना ठीक है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ममता बनर्जी को ऐसा करने की इज़ाफ़त करना चाहती हों 🔥। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो हमेशा विरोध में रहते हैं और खुद को बड़ी बात बताकर खींच लेते हैं 🙄

यह सब एक बड़ा मुद्दा बन गया है, और चुनाव प्रक्रिया को खतरे में डाल दिया है 💥। अब तो यह साफ है कि दोनों दलों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं 😡, लेकिन क्या इससे सच्चाई खुलकर नहीं सामने आती? 🤷‍♂️
 
यह बड़ा तबादला मतदाताओं की ईमानदारी को लेकर सवाल उठा रहा है। पार्टियाँ अपने राजनीतिक हितों के लिए यहां तक कि प्रशासन में भी बदलाव कर सकती हैं। लेकिन इससे मतदाताओं और चुनाव प्रक्रिया को परेशान करने से बचना चाहिए।
 
मैंने देखा है कि चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सूची में बदलाव करने के लिए बड़ा प्रयास किया है, लेकिन क्या इससे हमारे देश को सच्चाई और न्याय मिलेगा? मेरे दोस्त ने मुझसे कहा, "अरे, यह तो बस चुनावों से जुड़ी बात है। क्या हमारे लोग पार्टी की राजनीति से ज्यादा स्वयं को खुश करेंगे?" 🤔
 
ਇਸ ਚुनाव आयोग कੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਡਰ ਹੈ, ਮੈਂ ਤਜ਼ਾ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ। 12 ਰਾਜ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰੀ ਪ੍ਰਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਮੈਟਿਓਰੋਲੋਜਿਕਲ ਅਧਿਕਾਰੀ ਗਹਿਣੇ ਵਜੋਂ ਆਪਣੀ ਡੌਟਸ ਨੁਈਟ (SIR) ਦੀ ਘੋਸ਼ਣਾ ਬਹੁਤ ਸਹੀ ਹੈ। ਮੈਂ ਪਿਛਲੇ ਵੱਡੇ ਫੈਰ-ਬਦਲੇ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹਾਂ, ਅਤੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਥੋੜ੍ਹੀਆਂ ਪੱਛਮੀ ਭਾਰਤੀ ਪਰਿਵਰਤਨ ਕੁਝ ਡਰ-ਬੁਲੰਦ ਸਥਿਤੀਆਂ ਦਾ ਕਾਰਨ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ।
 
ऐसा लगता है कि ममता सरकार ने चुनाव आयोग से कहा - 'तुम मतदाताओं को पहले प punish कर लो, फिर उन्हें डीएम बदलना देखो।' 🤣
 
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