उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा असम में बहुविवाह के खिलाफ नए विधेयक की शुरुआत होने वाली है। इसमें बिना तलाक के दूसरी महिला से शादी करने वालों को कम से कम सात साल तक की सजा का सामना करना पड़ेगा।
बहुविवाह के खिलाफ इस नए विधेयक में सरकार ने धर्म की परवाह किए बिना ऐसे लोगों को सजा देने की योजना बनाई है। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि हम इस राज्य में महिलाओं की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करेंगे।
सरकार ने बताया है कि इस नए विधेयक को शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि अगर कोई अपनी पत्नी को कानूनी रूप से तलाक दिए बगैर दूसरी महिला से शादी करता है, तो उसके धर्म की परवाह किए बिना उसे सात साल या उससे अधिक की कैद का प्रावधान होगा।
इस विधेयक में ऐसे लोगों को सजा देने की कोशिश की जा रही है जो तलाक की बात कहकर भी अपनी दूसरी पत्नी से शादी करते हैं। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री ने आगे कहा है कि हम इस राज्य में महिलाओं की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करेंगे।
शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के नामांकन दर में बढ़ोतरी हुई है। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि इस योजना की वजह से बीते साल के मुकाबले शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के नामांकन दर में बढ़ोतरी हुई है।
बहुविवाह के खिलाफ इस नए विधेयक में सरकार ने धर्म की परवाह किए बिना ऐसे लोगों को सजा देने की योजना बनाई है। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि हम इस राज्य में महिलाओं की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करेंगे।
सरकार ने बताया है कि इस नए विधेयक को शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि अगर कोई अपनी पत्नी को कानूनी रूप से तलाक दिए बगैर दूसरी महिला से शादी करता है, तो उसके धर्म की परवाह किए बिना उसे सात साल या उससे अधिक की कैद का प्रावधान होगा।
इस विधेयक में ऐसे लोगों को सजा देने की कोशिश की जा रही है जो तलाक की बात कहकर भी अपनी दूसरी पत्नी से शादी करते हैं। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री ने आगे कहा है कि हम इस राज्य में महिलाओं की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करेंगे।
शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के नामांकन दर में बढ़ोतरी हुई है। यह कहने के साथ ही, मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि इस योजना की वजह से बीते साल के मुकाबले शिक्षण संस्थानों में लड़कियों के नामांकन दर में बढ़ोतरी हुई है।