‘तेजस्वी को लालू CM और राहुल को सोनिया बनाना चाहती हैं PM’, अमित शाह का महागठबंधन पर निशाना

राजनीतिक संघर्ष में राजनेताओं की भूमिका और उनके नेतृत्व की गुणवत्ता पर अमित शाह ने विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा, 'विपक्षी महागठबंधन में जो नेता हैं, वह भ्रष्टाचार और परिवारवाद की पहचान है। हमारी सरकार में ऐसी चीजों से मुक्ति है'।

लालू प्रसाद, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और मायावती सहित विपक्षी नेताओं को आड़े हाथ लेते हुए अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार ने बिहार को नक्सलवाद से मुक्त कराया है। हम विकास-प्रदर्शन के आधार पर सरकार का चुनाव करने के लिए तैयार हैं।

अमित शाह ने आरोप लगाया कि विपक्षी महागठबंधन की पहचान भ्रष्टाचार और परिवारवाद है। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद ने सिर्फ अपने परिवार की समृद्धि पर ध्यान दिया। गृह मंत्री ने दावा किया, ‘नीतीश बाबू राज्य का समग्र विकास चाहते हैं, जबकि लालू जी अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी अपने बेटे को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘लालू शासन में हत्या, लूट, फिरौती और अपहरण जैसी घटनाएं आम बात थीं। उद्योग राज्य से चले गए और बिहार को पिछड़ा बना दिया गया।' गृह मंत्री ने दावा किया, ‘नीतीश बाबू के नेतृत्व में NDA ने बिहार को जंगलराज से मुक्त किया, वंशवाद को खत्म किया और सबसे बड़ी बात यह कि नक्सलवाद को भी खत्म करने का काम किया।

अमित शाह ने छठ महापर्व के अवसर पर बिहारवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, 'मैं कामना करता हूं कि बिहार सदैव जंगलराज से मुक्त रहे, कानून-व्यवस्था मजबूत रहे, बहन-बेटियां सुरक्षित रहें और राज्य विकास के मार्ग पर लगातार आगे बढ़ता रहे। हम ने जीविका से जुड़ी एक करोड़ बहनों के खातों में 10 हजार रुपये दिए हैं। हमने विधवा और वृद्धावस्था पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये कर दी गई है। आशा बहनों का मानदेय 3,000 रुपये प्रति माह तय किया गया है।'
 
राजनेताओं को कभी-कभी अपने खिलाफी के लिए तैयार रहना जरूरी है, यही हमारे देश की मजबूती का निशान है… 🤔

जैसे कि बिहार में नक्सलवाद से मुक्ति होना, और बिहार को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने, इसके लिए हमें अपने खिलाफी के रूप में तैयार रहना होगा। लेकिन, हमें यह भी सोचकर तैयार रहना होगा कि अगर हम उनके आरोपों को नकारना चाहते हैं, तो हमें अपने पिछले गलतियों के बारे में खुलकर बोलना होगा। और, अगर हम वास्तव में अपनी सरकार के द्वारा किए गए कामों के बारे में बात करना चाहते हैं, तो हमें उनके आरोपों से गुजरना होगा।

आजकल, राजनेताओं पर इतनी आलोचना की जा रही है कि वे अपनी सरकार की सफलताओं के लिए नहीं बोल पाते। हमें यह समझना होगा कि उन्हें अपने खिलाफी के रूप में तैयार रहना है, और वास्तव में उनके द्वारा किए गए कामों पर ध्यान देना है। 🙏
 
क्या ये देखो, लालू प्रसाद जैसे नेताओं से भरोसा रखने से तो देश और बिहार की समस्याएं बढ़ जाती हैं 🤦‍♂️। नक्सलवाद, व्यवस्था के खिलाफ, हत्या, लूट, फिरौती... ये सब उनके नेतृत्व में हुआ था। और अब अमित शाह ने कहा है कि उनकी सरकार ने बिहार को नक्सलवाद से मुक्त कराया है। लेकिन अगर पहले उनकी सरकार इतनी अच्छी थी तो फिर ये सब नुकसान क्यों हुआ? 🤔
 
मैं समझता हूं कि लालू प्रसाद जैसे नेताओं ने देश को नक्सलवाद से मुक्त कराने की बात कही है, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अपने राज्यों की भी ऐसी ही समस्याएं देखनी पड़ती हैं और उनका समाधान खोजना जरूरी है। बिहार में नक्सलवाद जैसी स्थिति तो नहीं है, लेकिन हमारे अपने राज्यों में भी ऐसी समस्याएं होती रहती हैं और उनका समाधान करना जरूरी है।
 
मैंने लालू प्रसाद जी को फोन किया और उनसे कहा, 'तुम्हारे परिवार वास्तव में कैसे समृद्ध?' 🤔 मुझे लगता है कि राजनीति में तुमने बहुत ही भ्रष्टाचार किया है, मैं इस बारे में जानना चाहता हूँ। तुम्हारे बेटे को मुख्यमंत्री बनाने का दावा सुनकर मुझे बहुत हंसने लायक लगा, और सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का विचार तो पूरी तरह से अजीब है। 🤣
 
बिहार में नक्सलवाद से मुक्ति हुई है? नीतीश बाबू जी हमेशा से कहते थे कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद से दूर रहना होगा। लेकिन जब वह सरकार आ गई तो ऐसा नहीं हुआ। आजकल राजनेताओं की चालबाजी किसी को भी मोहित कर देती है। मैंने बिहार की जमीन पर कई सालों तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और मुझे लगता है कि आजकल की सरकार वास्तव में बिहार को बचाने के लिए तैयार नहीं है। 🤔
 
राजनेताओं को अपने कार्यों से खुद को परिभाषित करना चाहिए। उन्हें न केवल अपने देश की समस्याओं का समाधान करना होता है, बल्कि उनके परिवार और आर्थिक स्थिति भी इस बात पर प्रभाव डालती हैं। लालू प्रसाद जैसे नेताओं को अपने परिवारवादी व्यवहार की आलोचना करनी चाहिए।
 
अरे, यह बातें सच नहीं हो सकती, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों ही अच्छे नेता हैं और उनके सरकारों में सुधार की कई बातें हुई हैं। विपक्षी दलों को भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप लगाना आसान नहीं है, लेकिन अगर सच्चाई चाहते हैं तो हमें उनके सरकारों में हुए काम को देखना चाहिए। 🤔
 
राजनेताओं की भूमिका और नेतृत्व की गुणवत्ता पर अमित शाह द्वारा जो ध्यान दिया गया है, वह पूरी तरह से सही है 🤝। लेकिन फिर भी, मुझे लगता है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाए जा रहे हैं और उनकी आलोचना कर रहे हैं। लालू प्रसाद, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और मायावती को हमेशा भ्रष्टाचार और परिवारवाद के आरोप से जोड़ा गया है, लेकिन क्या यही सब सच है? 🤔

मुझे लगता है कि विपक्षी नेताओं ने अपने राजनीतिक जीवन में कई गलतियाँ की हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से नकार देना और उनकी आलोचना करना उचित नहीं है। हमें उनकी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उनके नेतृत्व की गुणवत्ता को अच्छी तरह से समझना चाहिए। 🤝

बिहार में नक्सलवाद की समस्या को हल करने के लिए, हमें एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें सरकार को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। हमें बिहार के लोगों की जरूरतों और समस्याओं को समझना होगा और उन्हें हल करने के लिए काम करना होगा। 💡

अमित शाह ने बिहारवासियों को शुभकामनाएं दीं, जो बहुत अच्छी लगी। मुझे लगता है कि सरकार को विकास-प्रदर्शन के आधार पर सरकार का चुनाव करने के लिए तैयार रहना चाहिए और बिहार के लोगों को अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद करनी चाहिए। 🙏
 
अरे, याद रहे की हमारे देश को सुधारने के लिए हर कोई अपना योगदान देना चाहिए। अमित शाह जी ने विपक्षी नेताओं पर कई आरोप लगाए हैं, लेकिन मुझे लगता है की यह सब एक राजनीतिक गेम है। 🤔

अगर हमारी सरकार ने बिहार को नक्सलवाद से मुक्त कराया है, तो इसका मतलब यह नहीं है की हमने विपक्षी दलों पर नहीं देखा। लेकिन, मुझे लगता है की अमित शाह जी ने अपने बयान में बहुत स्पष्टता और समझदारी के साथ बात की है। 😊

लेकिन, राजनीति में हर देश को खुश रखना असंभव है, लेकिन हमें जरूर यह ध्यान रखना चाहिए की हम अपने देश की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। 💪
 
राजनीति में ऐसे लोग जो नेतृत्व नहीं कर सकते, वे हमेशा सिर्फ अपने परिवार की चिंताओं पर ध्यान देते रहते हैं। लालू प्रसाद जैसे लोगों ने बिहार को नक्सलवाद और अन्य समस्याओं से मुक्त नहीं कराया है, बल्कि उनके शासनकाल में ऐसी कई घटनाएं हुईं जिन्हें याद करना भी अच्छा नहीं है 🙅‍♂️
 
मुझे लगता है कि लालू प्रसाद जैसे विपक्षी नेताओं को अपने नेतृत्व की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, नहीं तो वे भ्रष्टाचार और परिवारवाद की बात कर रहे होंगे। 🤔🚫

राजनीति में नेताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके नेतृत्व की गुणवत्ता पर ध्यान देना भी जरूरी है। अगर वे अपने नेतृत्व की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते हैं, तो वे अपने विपक्षी प्रतिद्वंद्वियों से दूर रह जाएंगे। 🌟👏

हमें उम्मीद है कि विपक्षी नेताओं को अपने नेतृत्व की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए और अपने विरोधी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार होना चाहिए। 🏆💪

बिहार में नक्सलवाद से मुक्ति होना एक अच्छी बात है, लेकिन हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि बिहार में विकास और प्रगति के लिए काम करना भी जरूरी है। 🚀🌈
 
जानिए यह बातें लोग चुपचाप सुनते हैं? विपक्षी नेताओं को उनकी गलतियों और भ्रष्टाचार का दोष देने में उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने का समय नहीं आता। लालू प्रसाद, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और मायावती जैसे नेताओं ने अपने देश को नक्सलवाद से मुक्त कराने में भी क्या गलतियाँ नहीं की हैं? और अमित शाह ने ऐसे बयान किए जिससे विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाकर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है।
 
भ्रष्टाचार और परिवारवाद से खुद को बांधकर विपक्षी नेताओं की आलोचना करने वालों को पता चलता है कि उनका मानना है कि हमारी सरकार में ऐसी चीजों से मुक्ति है। लेकिन जब हम विकास-प्रदर्शन और नक्सलवाद से मुक्त करने की बात करते हैं तो उन्हें लगता है कि हम उनके खिलाफ तैयार हैं। मुझे लगता है कि सरकार की विरोधी पार्टियों ने अपने देशभक्ति के लिए बहुत छोटी चीजों को बड़ा बनाकर राजनीति करनी शुरू कर दी।
 
बहुत बड़े दिन हैं यह 🙏 बिहार में छठ महापर्व के अवसर पर अमित शाह ने बिहारवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि हमने जीविका से जुड़ी एक करोड़ बहनों के खातों में 10 हजार रुपये दिए हैं... इसकी बात करने से भूल न जाओ, लेकिन विपक्षी महागठबंधन पर आरोप लगाने से भूल जाएं और उनकी गलतियों को नहीं याद करें कि हमने नक्सलवाद से मुक्त किया है... इससे आगे न बोलिए।
 
मैंने एक्सप्रेस ट्रेन पर बैठने वाली सीटें देखी हैं, जिन्हें नेताओं ने अपने घरों की तुलना में शानदार बनाया है
 
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