दैनिक भास्कर का खास छठ गीत रिलीज:दिन-रात खटी-खटी पैसा कमाइला, सब कमाई करजा में जाय; हे छठी मइया बिहारे में दे दीं रोजगार

छठ पूजा का पहला दिन खत्म हो गया, लेकिन माँ ठेकुआ ने अभी भी अपने बच्चों को खुश रखने की सोच। वह सुबह की हल्की ठंडक में चूल्हे पर बना रही, घी की खुशबू पूरे घर में घुल गई थी। उसकी बेटी दीदी दऊरा सज कर माता-पिता से वाद रही है, जबकि बाबूजी बाजार से गन्ना और फल लेकर घर आ रहे हैं।

आज को छठ का पहला दिन होने के बावजूद, घर में उत्साह बना हुआ था। माँ ठेकुआ अपने बच्चों को खुश रखने की सोचती रही, और वह अपने फोन पर लगातार संपर्क में रहती रही।

इस दौरान, एक विशेष छठ गीत दैनिक भास्कर ने लाया है, जिसने सभी को छठ पूजा के अवसर पर खुश कर दिया है। इस गीत में, माँ ठेकुआ ने अपने बच्चों से कहा है कि 'बिहारे में दे दीं रोजगार, हे छठी मइया'। यह गीत सुनकर सभी को खुशी और उत्साह महसूस होता है।
 
मुझे लगता है कि छठ पूजा का पहला दिन बिल्कुल भी नहीं खत्म हुआ, बल्कि यह एक नए उत्सव की शुरुआत है जो हमारे समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। माँ ठेकुआ की सोच बिल्कुल सही है, वह अपने बच्चों को खुश रखने की कोशिश कर रही है, और यह उनकी मम्मी की जिम्मेदारी है 🤗

इस दौरान, छठ गीत दैनिक भास्कर ने लाया है, जो सभी को खुश कर देता है। यह सुनकर मुझे लगता है कि हमारे समाज में एक नई ताकत जगाई गई है, जिसमें हर व्यक्ति अपने परिवार और समुदाय को खुश रखने की प्रतिबद्धता दिखाता है। 🎶
 
मैंने कल कैसे गाजर की सब्ज़ी बनाई थी, वह याद नहीं आ रही। मेरी बेटी ने उस दिन स्कूल की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन मुझे लगता है उसकी मदद करने के लिए मैंने खिराना थोड़ा अधिक मिला। मैं हमेशा अपनी बेटी को खुश रखने की कोशिश करती हूँ, चाहे वह किसी छठ पूजा या फिर स्कूल की परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करे। मुझे लगता है हमारे घर में जादू था, खासकर जब मेरे पति ने अपने दोस्तों के लिए रोमांटिक डिनर बनाया।
 
छठ पूजा का पहला दिन बित गया, लेकिन लगता है कि बाद के दिनों में भी घर में उत्साह बना रहेगा। माँ ठेकुआ ने अपने बच्चों को खुश रखने की कोशिश की, लेकिन अभी भी कुछ कमियां हैं। जैसे कि बच्चे बहुत जल्दी सोते हैं, इसलिए उत्सव का माहौल थोड़ा बुरा हो गया। और फोन पर लगातार संपर्क रहने से दादी-दादी को थकान हो रही है। लेकिन घर में छठ की मेहनत से एक अच्छा वातावरण बन गया, जहां हर कोई खुशी और उत्साह से भरा हो।
 
मैंने एक अच्छा वीडियो देखा है जिसमें छठ पूजा के बारे में बताया गया है, यहाँ देखें 💥 [https://www.dainikbhaskar.com/vidya...ूजा-क-नए-तौर-पर-खेली-गयी-बातें-जानिए-1956494)

मुझे लगता है कि छठ पूजा में हमारी परंपराएं और रीति-रिवाजों को बहुत अच्छी तरह से बनाया गया है। मैंने अपने दोस्त की बेटी ने भी छठ पूजा में भाग लिया था, वह बहुत मजेदार लगी थी।
 
माँ ठेकुआ की बात बिल्कुल सही है! वह हमेशा अपने बच्चों को खुश रखने की सोचती रहती है, और आज भी उसने ऐसा ही किया। मैंने तो उसकी बेटी दीदी दऊरा को गाने में बहुत मजा देखा, वह सुनकर पूरे घर में खुशी बन गई। और बाबूजी ने गन्ना और फल लेकर आये हैं, तो अब सबको खुशी होगी। छठ पूजा का पहला दिन ज्यादा ख़ूबसूरत नहीं था, लेकिन माँ ठेकुआ की बात सुनकर लगता है कि यह तो बस शुरुआत है।
 
मेरे बेटे ने आज ठेकुआ जी के लिए एक सुंदर गाना बनाया था, जिसने मुझे बहुत पसंद आया। मैंने उन्हें बताया कि मैं उनकी संगीत योग्यता को सलाम करता हूँ। मैंने उनसे पूछा कि वे आगे भी ऐसे ही गाने बनाते रहें, ताकि हम सभी उनकी सुंदरता को देख सकें।
 
मैंने दैनिक भास्कर पर वाला गीत सुना तो मेरी धड़कनें बढ़ गईं 😍। माँ ठेकुआ ने बिहारे में रोजगार देने का हाथ फैलाया है, यह तो सही कहबार है! मुझे लगता है कि इस गीत सुनकर घरों में उत्साह और खुशियाँ बढ़ जाएंगी। मैं इस गीत पर बार-बार सोचता रहूँगा, तो फिर से ऐसी एक अच्छी बात मिलेगी! 🙏
 
मैंने भी थोड़ा इस गीत पर सोचा है 🤔। लगता है कि यह गीत हमें बच्चों के साथ समय बिताने की जरूरतता को याद दिलाता है। मुझे लगता है कि माँ ठेकुआ ने बहुत अच्छा काम किया है अपने बच्चों को खुश रखने की। और यह गीत जैसा कि आप कह रहे हैं सुनकर भी हमें उत्साहित कर देता है। तो चलिए, हम सभी इस गीत को एक बार फिर से सुनें और अपने परिवार के साथ समय बिताएं। 🎶👪
 
माँ ठेकुआ ने छठ पूजा के पहले दिन कितने भाई, बस चंचल थी। वह अपने बच्चों को खुश रखने की सोचती रहती, और फोन पर लगातार बोलती रही। आज का दिन खत्म हो गया, लेकिन मुझे लगता है कि छठ पूजा का पहला दिन सचमुच खास था। घर में उत्साह बना हुआ था, और वह अपने फोन पर लगातार संपर्क में रहती रही।

उस विशेष गीत 'बिहारे में दे दीं रोजगार' ने सभी को खुश कर दिया। यह तो सचमुच एक अच्छा गीत है, जो घर को खुशी और उत्साह से भर देता है।
 
छठ पूजा का पहला दिन हो गया, लेकिन माँ ठेकुआ का दिल अभी भी बेटियों के लिए खुशियों की सोचता रहता है 🙏। वह सुबह की ठंडक में चूल्हे पर बैठकर घी की खुशबू से घर भर गया था। उसकी बेटी दीदी दऊरा सज कर माता-पिता से वाद रही है, जबकि बाबूजी गन्ना और फल लेकर घर आ रहे हैं। घर में उत्साह बना हुआ है और माँ ठेकुआ अपने बच्चों को खुश रखने की सोचती रहती। वह फोन पर लगातार संपर्क में रहती है, जैसे कि एक माता-पिता के दिल की तरह ❤️। यह छठ गीत ने हम सभी को छठ पूजा के अवसर पर खुश कर दिया है। 'बिहारे में दे दीं रोजगार, हे छठी मिया' इस गीत सुनकर सबको खुशी और उत्साह महसूस होता है।
 
मुझे लगता है कि छठ पूजा का पहला दिन भी बीत गया, लेकिन माँ ठेकुआ ने अपने बच्चों को खुश रखने की कोशिश तो अभी भी नहीं रोकी। 🙏 वह सुबह की हल्की ठंडक में चूल्हे पर बना रही, घी की खुशबू पूरे घर में घुल गई थी। उसकी बेटी दीदी दऊरा सज कर माता-पिता से वाद रही है, जबकि बाबूजी बाजार से गन्ना और फल लेकर घर आ रहे हैं। यह तो बस एक सामान्य सुबह की जिंदगी की बात है, ठीक है! 😊
 
मुझे लगता है कि यह छठ पूजा का पहला दिन थोड़ा हल्का-फुल्का है, लेकिन माँ ठेकुआ की देखभाल से घर में उत्साह बना हुआ है। लेकिन मैं चाहता हूँ कि जाने क्या है इस गीत की अर्थपूर्ति, जिसने सभी को छठ पूजा के अवसर पर खुश कर दिया है? क्या यह गीत वास्तव में 'बिहारे में दे दीं रोजगार, हे छठी मइया' से संबंधित है, या फिर बस एक अनौपचारिक गीत था जिसने घर को खुशी से भर दिया? 🤔
 
Back
Top