दैनिक भास्कर का खास छठ गीत रिलीज: दिन-रात खटी-खटी पैसा कमाइला, सब कमाई करजा में जाय; हे छठी मइया बिहारे में दे दीं रोजगार - Bihar News

छठ के पहले दिन में, जब पूरे घर में ही ताजगी और उत्साह का माहौल है, जैसे कि यहां छोटी सी लड़कियाँ चूल्हे पर मां को ठेकुआ बनाती रहती हैं और घर में घी की खुशबू पूरे घर में फैल गई हो, आज यहां दीदी दऊरा सजी हुई थी। बाबूजी भी बाजार से वापस आ रहे थे, जिसके हाथों में गन्ना और टोकरी में फल लिए थे।

आज छठ का पहला दिन है, जब घर में उत्साह और खुशियां मची हुई थीं, उस समय यह वीडियो बनाया गया था। मां बार-बार फोन कर रही हैं, जिससे पूरा ख्याल चल रहा है।

इस छठ गीत के साथ-साथ, बिहार सरकार ने भी इस दिन को महत्व दिया है। सरकार ने रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने पर जोर देने वाला यह गीत देखने-सुनने के लिए उपलब्ध है।
 
बात छठ की तो बहुत खुशियां है 🎉, मुझे लगता है कि यह कैस्बी और परिवारिक वातावरण का एक सुंदर प्रतीक है, जहां लोग एक साथ मिलते हैं और आनंद लेते हैं। लेकिन अब यह देखने को मिल रहा है कि सरकार भी इस दिन का महत्व समझती है और लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इससे मेरे विचार में घरों में गरीबी की समस्या कम होने लगेगी, और लोग अपने परिवारों को खुश रखने के लिए भी सक्षम होंगे। 🙏
 
😊 आज छठ का पहला दिन है, तो सबके घर में ताजगी और उत्साह का माहौल होना चाहिए। मैं आशा करती हूँ कि इस दिन पर हम अपने परिवार के साथ खुशियां मनाएं और उनकी सेहत पर ध्यान दें। जैसे कि आज बिहार सरकार ने भी छठ को महत्व दिया है, तो मुझे लगता है कि हमें अपने समुदाय के लिए रोजगार और आर्थिक सुरक्षा की ओर बढ़ना चाहिए। 🌼
 
मुझे लगता है कि छठ का त्यौहार बहुत ही खुशियों और उत्साह का माहौल बनाता है, जैसे कि घर में घी की खुशबू पूरा घर फैल गई हो। लेकिन आजकल वीडियो देखने-सुनने के लिए उपलब्ध छठ गीतों के बीच, मुझे लगता है कि यह बिहार सरकार द्वारा बनाए गए गीत बहुत ही प्रेरक और महत्वपूर्ण है।
 
अरे, ये छठ की तैयारी में बहुत उत्साह है... तो सोचिये कि ख्याल इस बात पर ज्यादा न लगे, खासकर जब बाबूजी तो बाजार से वापस आ रहे थे... यह दीदी दऊरा सजी हुई थी, तो फिर घर में कौन नहीं उत्साहित था? 🤣🎉
 
आज मैं बिहार की छठ की खुशियों में हूँ ❤️। जब घर का माहौल उत्साह और ताजगी से भर जाता है, तब यह भी बहुत खास होता है। मैं दीदी दऊरा को देखकर हंसने को मजबूर हुआ, ये लड़कियाँ तो सचमुच खुशियों की रानियाँ हैं। और बाबूजी जी भी बाजार से वापस आने पर मुस्कराते हुए नहीं आते, यही खुशियों का सही रंग है।

यह गीत सुनकर तो मैं पूरी तरह से मन में आ गया 😊। छठ का पहला दिन है, और बिहार सरकार ने इस दिन को बहुत महत्व दिया है। यह गीत हमें रोजगार और आर्थिक सुरक्षा की ओर ले जाने का प्रयास कर रहा है, और मुझे लगता है कि यह एक बहुत अच्छा कदम है।
 
छठ की तैयारियाँ पहले से ही शुरू हो चुकी हैं, और अब यह दिन finally arrived hai! मेरी राय में, छठ का पहला दिन हमेशा सबसे खुशियों का दिन होता है, जब पूरे परिवार में एकजुट होकर उत्साह और ताजगी का माहौल बनता है। यह दिन गरीबों और जरूरतमंदों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, और बिहार सरकार ने इस दिन को भी बहुत महत्व दिया है।

मुझे लगता है कि छठ की तैयारियाँ और उत्साह का माहौल न केवल परिवारों के लिए बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद है। यह सामूहिक उत्साह और एकता को बढ़ावा देता है, जो हमें अपने आप को और दूसरों के प्रति जागरूक बनाता है। इसके अलावा, छठ की तैयारियाँ हमें अपने परिवार के साथ समय बिताने, खुशियों का आनंद लेने और एकजुट होने का अवसर प्रदान करती हैं।

आज की वीडियो में, जिसमें घर की ताजगी और उत्साह का माहौल दिखाया गया है, मुझे बहुत पसंद आया। यह देखकर यह एहसास होता है कि छठ का पहला दिन वास्तव में खुशियों का दिन हो सकता है। 🎉
 
🤔 आपने तो पहले ही बताया है कि छठ का माहौल कितना खुशियों से भरपूर होता है, और आज भी यह दिखाई दे रहा है। लेकिन क्या हमें वास्तविकता से जुड़ने देना चाहिए? क्या हमारे पास बस छठ की खुशियों में ही अपने जीवन को बिताने का मौका नहीं है? मेरा मतलब यह है कि सरकार की ओर से रोजगार और आर्थिक सुरक्षा पर जोर देना अच्छा है, लेकिन इसके पीछे क्या सच्चाई है? क्या हमारे जीवन में बस इतना ही खुशियों और रोजगार को बातचीत में रखना है?
 
क्या मेरे आसपास की सभी लड़कियाँ भी इस तरह बड़ी और सुंदर हो जाएं, जैसे कि छठ की पहली दिन में! मेरी बाप की गलियों में ताजगी और उत्साह का माहौल तो बस इतना नहीं था, बल्कि यहां हर घर में एक अलग सी खुशबू का अंगारा होता है!

मैंने छठ की पहली दिन की वीडियो देखी, जिसमें छोटी सी लड़कियाँ चूल्हे पर मां को ठेकुआ बनाती रहती हैं, और मेरी आंखों में एक अलग सी खुशबू छाई गई। लेकिन आज मैंने वीडियो देखा तो यह पूरी तरह से अलग था, जैसे कि मेरी बाप बाजार से वापस आ रहे थे, और घर में गन्ना और टोकरी में फल लिए हुए थे।

मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि बिहार सरकार ने इस दिन को महत्व दिया है, और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने पर जोर देने वाला गीत देखने-सुनने के लिए उपलब्ध है। यह तो बस एक अच्छी बात, और मैं इसे सिर्फ से मन नहीं सकूंगा।
 
आज तो छठ की तैयारी में जो खुशी और उत्साह है, वह बिहार सरकार के लिए भी अच्छी राहों का संकेत हो सकती है 🤞। अगर सरकार ने इस दिन पर रोजगार और आर्थिक सुरक्षा के बारे में गीत बनाया है, तो यह एक अच्छी बात है। लेकिन, अगर वास्तविकता को देखें, तो कई जगहों पर भ्रष्टाचार और अव्यवस्था जैसी समस्याएं अभी भी खड़ी हैं।
 
🎉 छठ की शुरुआत में ताजगी और उत्साह का माहौल है, जैसे घर में लड़कियाँ चूल्हे पर मां को ठेकुआ बनाती रहती हैं! 😂 लेकिन आज दीदी दऊरा सजी हुई थी, जिससे यह वीडियो बनाया गया था। 📹 मां बार-बार फोन कर रही हैं, इसलिए पूरा ख्याल चल रहा है। 😬 बिहार सरकार ने भी इस दिन को महत्व दिया है, जिसमें रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है। 🚀 #छठकेफेरस्टिव #आर्थिकसुरक्षा #रोजगारकेवपस
 
अरे बेटा, तुम्हारी माँ ने आज छठ के पहले दिन में इतना उत्साह और खुशियां से भरा वीडियो बनाया है, फिर भी पूरा घर में ख्याल चल रहा है कि माँ खुद भी रानी सिटी जैसी हो गई हैं 🤩। बिहार सरकार ने भी इस दिन को महत्व दिया है, और यह गीत सुनने-देखने के लिए तुम्हें जरूर मिलेगा, खासकर जब माँ बाबू जी घर वापस आ रहे हैं और फल-फूल लेकर आये होंगे। 👍
 
अरे, तुम्हारे छठ की तैयारियाँ बहुत ही सुंदर दिख रही हैं! मेरा ध्यान लग गया तो मुझे पता चला कि बाबूजी घर वापस आ गए हैं और गन्ना और फल लेकर आये हैं। यह तो बस एक अच्छा संकेत है कि छठ का दिन जल्द ही खत्म नहीं होगा। मुझे लगता है कि इस छठ के दौरान हमें अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का बहुत आनंद मिलेगा।

आपकी मां ने वीडियो बनाया तो अच्छा लगा। मुझे लगता है कि यह वीडियो देखने-सुनने के लिए हमें भी बहुत अच्छा लगेगा। और सरकार ने इस गीत पर जोर देने से लोगों को आर्थिक सुरक्षा मिल सकती है, जो बहुत जरूरी बात है। 🤞
 
छठ की तैयारियों में इतनी खुशी और उत्साह है, लगता है कि इस दिन में कुछ बिल्कुल भी खराब नहीं होने देना चाहिए 🤗। पूरे घर में एक ही स्वाद और माहौल बनाए रखने के लिए मां को ख्याल रखना जरूरी है, परन्तु इसी समय में सरकार के द्वारा रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और लोगों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। सरकार का यह पहलू बहुत अच्छा है 🙌, क्योंकि एक स्वस्थ समाज में खुशियां और उत्साह ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है।
 
मुझे लगता है की छठ के पहले दिन में इतनी खुशियां और ताजगी होती है, जैसे की यह तो बस एक सामान्य दिन हो गया। लेकिन जब मैं इस वीडियो को देखता हूं, तो लगता है कि यह कुछ और भी खास है। वहाँ लड़कियों की खुशियां, बाबूजी की लालच, माँ की चिंता... यह सब एक साथ मिलकर एक ऐसे पल को बनाता है, जो हमेशा के लिए याद रखा जाएगा।

मुझे लगता है कि छठ के दौरान हमें अपने परिवार और समाज के बीच खुशियां और उत्साह का माहौल बनाए रखना चाहिए। जब सरकार भी इसे महत्व देती है, तो यह साबित करता है कि हमारे समाज में यह परंपरा बहुत प्यारी लगती है।
 
🤔 यह छठ की शुरुआत बहुत ही खुशियों से हुई है, और मुझे लगता है कि इस समय को बाकी छठ की तुलना में थोड़ा साफ़-सुथरा लग रहा है। पूरे गृह में घर की साफ-सफाई पर ध्यान दिया गया है, और यह अच्छा भी लगता है कि हर कोई अपने घर को स्वच्छ रखने में सक्षम हो। लेकिन फिर भी, छठ का पहला दिन में घर के बाहर की ठीक-ठाक सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया, और पूरे घर में घी की खुशबू थी। यह अच्छा है कि बच्चे अपने माता-पिता को स्वस्थ रहने के लिए चूल्हे पर ठेकुआ बनाकर खुशी दे रहे हैं। 🍽️
 
अरे, तुम्हारी माँ की फोनिंग थोड़ी ज्यादा हुई है, लेकिन यह गाना सुनकर पूरे घर में उत्साह हो गया है! मुझे लगता है कि इस छठ के दौरान बिहार सरकार ने बहुत अच्छी चीजें करने की शुरुआत की है, जैसे आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने की बात। यह गीत सुनकर मुझे लगता है कि लोगों को विचार करने पर मजबूर किया गया है, और शायद इससे हमें कुछ नया सीखने को मिलेगा।
 
क्या बिल्कुल, यह छठ का पहला दिन है तो सभी घरों में उत्साह और खुशियां हो रही हैं। लेकिन तुमने देखा, वीडियो बनाने से पहले पूरा ख्याल चल रहा था। यह क्यों? क्या किसी का ख्याल नहीं चल रहा था? और बिहार सरकार ने इस दिन को महत्व देने का सोचा, लेकिन उनके पीछे क्या काम है? क्या वे रोजगार के अवसरों को बढ़ाने और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने पर वास्तव में ध्यान दे रहे हैं? या यह सभी एक बड़े खेल का हिस्सा है? 🤔
 
ਸੋ ਇਹ ਗੱਲ ਪਤਾ ਚਲੀ ਜਾਏ ਕਿ ਬਾਰ ਵਿਖੇ ਛੁਟੀ ਦੇ ਦਿਨ ਉੱਤੇ, ਭਾਵੇਂ ਮਹਿਲਾਂ ਜੋੜ ਬਣ ਗਈ ਹੈ, ਫਿਰ ਵੀ ਛੁਟੀ ਦੇ ਦਿਨ 'ਤੇ ਖੇਡਣ ਲਈ ਕੋਈ ਮੌਕਾ ਨਹੀਂ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੀ। ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ, ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਛੁਟੀ ਸੋਭਣਾ ਹੈ, ਉਹ ਖੇਡਣ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੇ।
 
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