दिल्ली में AQI लेवल 400 पार, अस्थमा-एलर्जी के मरीज बढ़े:डॉक्टर्स की सलाह- मास्क लगाकर निकलें; आंध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा को लेक

दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण गंभीर, 30% की वृद्धि अस्थमा-एलर्जी रोगियों में देखी गई। दिवाली के बाद से प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। शनिवार को पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार में AQI लेवल 412 दर्ज किया गया, जिससे गंभीर प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है।

जनपथ रोड पर हवा की गुणवत्ता खराब है, इसलिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। दिवाली के बाद केवल 2 दिनों में सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा के दौरे और एलर्जिक ब्रोंकाइटिस के रोगियों में लगभग 30% की वृद्धि देखी गई है। डॉक्टरों ने मास्क लगाने की सलाह दी है।

आंध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा को लेकर हाई अलर्ट जारी है, बंगाल की खाड़ी में दबाव क्षेत्र बनता दिख रहा है। 27 अक्टूबर को इसके चक्रवात में तब्दील होने की संभावना है, जिसमें 110 kmph की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। तूफान का नाम मोन्था रखा जा सकता है, जो थाईलैंड ने दिया है।
 
प्रदूषण की बढ़ती सीमाओं पर ताकत नहीं है... हमें अपने स्वास्थ्य और पृथ्वी की खुशामद करनी चाहिए, न कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए...

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प्रदूषण बहुत गंभीर है 🤕, हमारी जमीन को इतना खराब कर दिया गया है कि वायु गुणवत्ता खराब हो गई है, इसलिए सड़कों पर पानी छिड़काव कर रहे हैं। मैं समझता हूँ कि त्योहारों के बाद स्वच्छता कम होती है, लेकिन इतनी ज्यादा बढ़ गया है। अस्थमा और एलर्जी रोगियों को बहुत मुश्किल हो रही है 🤒। डॉक्टरों ने मास्क लगाने की सलाह दी है, चाहे हमारे घर में साफ-सफाई करें, वायु प्रदूषण कम करना जरूरी है। और भारतीय उपमहाद्वीप में चक्रवात की संभावना है, तूफान को मोन्था कहा जा सकता है 🌪️, हमें तैयार रहना चाहिए।
 
बिल्कुल यार, यह तो बहुत बड़ा चिंता का विषय है! प्रदूषण तो हमेशा एक समस्या रही है, लेकिन अब इसका खतरनाक स्तर पहुंच गया है। दिवाली के बाद से हवा में धूल और गंदगी बढ़ गई है, जिससे अस्थमा और एलर्जी रोगियों को बहुत परेशानी हो रही है। हमें अपने शहर को सफ़ाई कराने के लिए मिलकर काम करना होगा, ताकि हमारी हवा फिर से शुद्ध और स्वच्छ हो। 🌟
 
Wow 🤯, प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर है! दिवाली के बाद से लगातार बढ़ रहा है तो 30% वृद्धि अस्थमा-एलर्जी रोगियों में देखी गई, यह जानकारी बहुत चिंताजनक है 🤕. और अब आन्ध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा की बात, तूफान के चक्रवात में तब्दील होने की संभावना है, 110 kmph की रफ्तार से हवाएं चलेंगी, यह बहुत खतरनाक है! 🌪️
 
मेरी बेटी को अस्थमा है और उसे प्रदूषण से बहुत परेशानी होती है... मैंने इस तूफान के बारे में सुनकर चिंतित हूँ... मेरे डॉक्टर ने मुझे बताया था कि अगर मास्क नहीं पहना तो बहुत गंभीर समस्या हो सकती है... मैं अपनी बेटी को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए हमेशा तैयार रहता हूँ... प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि शायद कुछ नहीं किया जा सकता...
 
यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है! प्रदूषण बढ़ रहा है और लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अस्थमा और एलर्जिक रोगियों के लिए यह बात खास तो नहीं है, लेकिन आम आदमी के लिए भी इससे बचना जरूरी है। दिवाली के बाद से हवा में प्रदूषण बढ़ रहा है और यह खतरनाक हो सकता है।

कोई तो नहीं पता कि हमारे शहर में इतना प्रदूषण हो रहा है, लेकिन यह जानने की जरूरत नहीं कि हमें इससे निपटने की तरीके ढूंढने की जरूरत है। सड़कों पर पानी का छिड़काव करना एक अच्छा विचार हो सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को भी कुछ करने की जरूरत है।

आंध्र प्रदेश में तूफान की संभावना है, जिससे हमारे राज्यों में भी प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में हमें अपनी सुरक्षा के बारे में सोचने की जरूरत है और तैयार रहना चाहिए।
 
अगर हम प्रदूषण को एक बड़ा सवाल समझें, तो यह एक बड़ा सवाल सिर्फ हमारी सांस लेने की सुविधा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। दिल्ली-एनसीआर में ऐसी स्थिति आ गई है कि शनिवार को पूर्वी दिल्ली के आनंद विहार में हवा का स्तर 412 पर पहुंच गया, जिससे गंभीर प्रदूषण की स्थिति बनी हुई है।

जब हमारे आसपास की हवा इतनी खराब हो जाती है, तो यह न केवल अस्थमा और एलर्जी रोगियों के लिए खतरनाक होता है, बल्कि यह हमारे समाज के हर सदस्य के लिए एक बड़ा चिंता विषय बन गया है।

अब और एक सवाल, क्या हमें अपने जीवन में इस प्रदूषण से निपटने के लिए कोई तरीका नहीं मिलता? क्या हमें अपने घरों में प्लांट लगाने, बायोगैस से चलने वाली गाड़ी खरीदने, या यहां तक कि एक छोटी सी परियोजना बनाकर देख सकते हैं कि हम कैसे प्रदूषण को कम कर सकते हैं?

क्या हमें अपने जीवन में इस प्रदूषण से निपटने के लिए कोई तरीका नहीं मिलता? नहीं, हमें बस इतना करना है कि हम इस समस्या को समझने और इसके समाधान खोजने की कोशिश करें।

तो आइए, सबकुछ बदलने का प्रयास करें और साथ मिलकर एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण बनाएं। हमारे जीवन की गुणवत्ता पर इसका असर पड़ने दें, तो यह भी हमारी जिम्मेदारी है। 🌪️
 
मुंबई-दिल्ली मौसमी यात्रा में हमेशा एक बड़ा संकट आता रहता है - प्रदूषण। लेकिन आजकल बेहद तेज़ी से बढ़ रहा है। दिवाली के बाद से लगातार बढ़ती हुई, अब 30% वृद्धि अस्थमा-एलर्जी रोगियों में देखी गई। जनपथ रोड पर हवा की गुणवत्ता खराब है, इसलिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। ये तो एक बुराई है लेकिन मुझे उम्मीद है कि जल्द ही हमें अपने घरों और खुले वातावरण में पौधे लगाने से हवा की गुणवत्ता में सुधार होने का मौका मिलेगा।
 
यह तो बहुत बड़ा मुद्दा है! प्रदूषण इतनी गंभीर हो गया है कि अस्थमा-एलर्जी रोगियों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दिवाली के बाद से लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है, और यह बहुत चिंताजनक है। जनपथ रोड पर हवा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि पानी का छिड़काव कर दिया जा रहा है। और तूफान मॉन्था नामक तूफान आने वाला है, जो बंगाल की खाड़ी में दबाव क्षेत्र बनते दिख रहा है। 🌪️😷

मुझे लगता है कि सरकार और लोगों दोनों को एक साथ मिलकर इस मुद्दे पर काम करना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण के लिए हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। इससे हमारे भविष्य को भी सुरक्षित बनाया जा सकता है। 🌿💚
 
अरे, यह तो बहुत ही दुर्भाग्यजनक स्थिति है! प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि अस्थमा-एलर्जी रोगियों को भी बहुत परेशान कर रहा है। मैंने अपने शिक्षकों से बात की थी, उन्होंने कहा कि हमारे शहर को प्रदूषण नियंत्रण पर अच्छी नजर रखी जाए, ताकि हम अपने भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सकें।

कोई भी साइक्लोन मॉन्था या ऐसा ही चक्रवात आने देने दो, हमारी हवाई की गुणवत्ता और भी खराब हो जाएगी। मैं अपने सहपाठियों से बात करता रहता हूं, वे बताते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण पर जरूर ध्यान देना होगा।
 
दिल्ली में प्रदूषण गंभीर है 🤕, लगातार बढ़ रहा है तो क्या कोई काम नहीं करेगा? AQI लेवल 412 कैसे ऐसा हो सकता है? पूर्वी दिल्ली में सांस लेने में इतनी मुश्किल क्यों? हवाई गुणवत्ता खराब, डॉक्टर ने मास्क लगाने की सलाह दी है तो यार, हमें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। और फिर आंध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा के बारे में... 110 kmph की रफ्तार से हवाएं चलनगी, तूफान का नाम लेगा मॉन्था, यह तो बहुत खतरनाक है...
 
इस दिवाली के बाद प्रदूषण वास्तव में बढ़ जाता है 🤯। 30% की वृद्धि अस्थमा-एलर्जी रोगियों में बहुत चिंताजनक है। हमें अपनी सड़कों और घरों को साफ रखने के लिए जरूरी है ताकि हवा की गुणवत्ता बेहतर हो। जनपथ रोड पर हवा की गुणवत्ता खराब है, इसलिए सड़कों पर पानी का छिड़काव जारी रहना चाहिए।

आंध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा की बात तो सच है 🌪️, लेकिन हमें इसके बारे में जागरूक रहना चाहिए और अपनी जान बचाने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए। तूफान का नाम मोन्था रखा जा सकता है, लेकिन हमें इसके बारे में जागरूक रहना चाहिए और अपनी जान बचाने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए।

हमें अपने देश को साफ और स्वच्छ रखने के लिए जरूरी है ताकि हमारी हवा प्रदूषण मुक्त बन सके।
 
अरे, ये तो पूरा अजीब है! दिल्ली में ऐसा क्यों होता है? पहले से भी बहुत ही खराब प्रदूषण, अब और बढ़ जाना बिल्कुल सही नहीं है। और सबकुछ दिवाली के बाद से तो लगातार बढ़ रहा है... 🤯

मेरी बेटी भी अस्थमा की समस्या से बहुत परेशान रहती है, और अब इस वाले प्रदूषण की वजह से उसके साथ खेलने में भी दिक्कत हो जाती है। पूरे शहर में हवा तो खराब ही है, ऐसे में बिल्कुल सही नहीं है।

और तूफान की बात... आंध्र प्रदेश में साइक्लोन मोंथा की खबरें ही इतनी हुईं? तो यार, हमारे पड़ोस में चोरी होती है तो पता नहीं कौन करता है, लेकिन तूफान और प्रदूषण की बात तो सरकार से करे... 🤔
 
मुझे लगता है कि प्रदूषण बढ़ने की बात सुनकर मुझे यह सोचता है कि हमारी योजनाएं और परिवहन प्रणाली अच्छी नहीं तैयार हो रही है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब होने की बात सुनकर मुझे यह महसूस होता है कि हमारे शहरों में हवा की गुणवत्ता को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। अगर सरकार वास्तव में प्रदूषण को कम करना चाहती है, तो वह पहले से अच्छी योजनाएं बनानी चाहिए और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करे।
 
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ रहा है... यह तो दिवाली के बाद से ही लगातार बढ़ रहा है 🚮😷. AQI लेवल 412 का नंबर साफ नहीं है, पूर्वी दिल्ली में शनिवार को यह दर्ज किया गया है। गंभीर प्रदूषण की स्थिति बन गई है... जनपथ रोड पर हवा खराब है, इसलिए पानी छिड़काव कर रहे हैं 🌊. दिवाली में सांस लेने में कठिनाई, अस्थमा और एलर्जिक ब्रोंकाइटिस के रोगियों में 30% की वृद्धि देखी गई है... डॉक्टर मास्क लगाने की सलाह दे रहे हैं 👓.
 
अगर हमारे पास अपने घरों और आसपास की जगहों से जलने वाले प्रदूषकों के बगीचे नहीं थे, तो यह दिवाली के बाद से बढ़ता हुआ प्रदूषण सही तरीके से नियंत्रित होता। लेकिन जब हमारे बगीचे जैसी जगहें हमारे आसपास होती हैं, तो हमें अपने घरों के अंदर और बाहर भी साफ-सुथरा रखने की जरूरत है।
 
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