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तृणमूल कांग्रेस के पूर्व चेयरमैन और बागडोरधारक ममता बनर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय में संसदीय चुनाव परिषद की बैठक में भाग लिया।
 
मैंने पढ़ा है कि ममता दidi ने कोलकाता विश्वविद्यालय में संसदीय चुनाव परिषद की बैठक में भाग लिया, यह बहुत अच्छी बात है!

मुझे लगता है कि दीदी ने अपने पार्टी के राजनेताओं से चर्चा की होगी, और वे सभी अपने-अपने चुनाव अभियानों पर चर्चा कर रहे होंगे। मैंने उनकी तस्वीर देखी है, जिसमें वह बहुत उत्साहित दिख रही हैं।

मुझे लगता है कि यह चुनाव परिषद बहुत महत्वपूर्ण होगी, और हम सभी देखेंगे कि वे कैसे अपने पार्टी को आगे बढ़ाएंगे। मैं दीदी से उम्मीद करता हूं कि वह अपने पार्टी के राजनेताओं को अच्छी सलाह देंगी और उन्हें जीतने का तरीका सिखाएगी।

मैंने एक छोटा सा डायग्राम बनाया है जिसमें ममता दीदी को एक सफल राजनेता के रूप में दर्शाया गया है।
 
मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी खबर है कि तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय में संसदीय चुनाव परिषद की बैठक में भाग लिया। यह दिखाता है कि वह अभी भी राजनीति में उत्साहित और सक्रिय हैं। मैं आशा करता हूँ कि वह अपने विचारों को साझा करेंगी और लोगों को प्रभावित करेंगी। यह एक अच्छा संकेत है कि तृणमूल कांग्रेस अभी भी राजनीतिक प्रक्रिया में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। 🤝
 
मानो कुछ अच्छा हुआ, लेकिन यह कहीं और हुआ होगा, नहीं तो कोलकाता विश्वविद्यालय में सभी संसदीय चुनाव परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए इतनी बड़ी झड़प का कारण निकलेगा। ममता बनर्जी जी को उनकी राजनीति में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, और एक बार फिर से उनकी पार्टी की छवि को बनाए रखने के लिए उन्हें अपनी गलतियों से सीखने की जरूरत है 🤔
 
बिल्कुल ठीक है कि ममता बनर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय में संसदीय चुनाव परिषद की बैठक में भाग लिया, लेकिन फिर भी देखिए कि वे कैसे अपने सभी नेताओं को धमकी दे रहे हैं। यह तो सचमुच एक बड़ा झगड़ा है। मुझे लगता है कि हमें अपने चुनाव में ज्यादातर ध्यान स्वास्थ्य और शिक्षा पर लगाना चाहिए, न कि दूसरों की व्यक्तिगत लड़ाई में।
 
अरे, देखो! मम्मी दूरभाष पर हार में नहीं हुईं, तो फिर क्या करें,? विश्वविद्यालय में उनके आने से शायद लोगों को संसदीय चुनाव परिषद में भाग लेने की जिज्ञासा बढ़ गई, और अब सबको पार्टी में शामिल होने की ताकत दिखाई देगी,? खैर, ये तो एक अच्छी बात है, क्योंकि संसदीय चुनाव परिषद में अधिक लोग होंगे, तो फिर सरकार का काम थोड़ा आसान हो जाएगा, और शायद नीतीश कुमार जी के मन में यह विचार आ जाए, कि क्या वे इस चुनाव परिषद की बैठक में भाग लेना चाहेंगे।

मैंने देखा है कि, अगर ममता बनर्जी अपने नेतृत्व से पार्टी को एक नई दिशा दें, तो शायद लोगों की रुचि बढ़ जाएगी, और उन्हें फिर से भाग लेने के लिए प्रेरित करेगी,? खैर, अब चुनाव परिषद में अधिक लोग होने से पहले इसकी तैयारियाँ शुरू हो गई होंगी, और सबकुछ ठीक-ठाक होना चाहिए।
 
ममता बनर्जी जी को देखकर मुझे लगता है कि उनकी प्रतिभा और अनुभव हमेशा से ही राजनीति में अपना खासा महत्व रखते हैं… 🤔 उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को एक मजबूत और समृद्ध रूप दिया, जिसने बंगाल को एक अलग पहचान दिलाई है... 👍
 
अरे, ये तो एक ही चीज़ है, पूरे दिन टिप्पणियाँ करने वाले लोग यहीं एक बैठक में जाने का जश्न मना रहे हैं?

ममता बनर्जी जी की उपस्थिति अच्छी लगी, लेकिन इतने बड़े निर्णयों पर चर्चा करने की यह प्लेटफ़ॉर्म पर कितनी विश्वसनीयता है? मुझे लगता है कि यहाँ से तो केवल राजनीतिक टिप्पणियाँ और जानकारी मिलती है, लेकिन पूरी सच्चाई कुछ और भी होती है।

कोलकाता विश्वविद्यालय में संसदीय चुनाव परिषद की बैठक में भाग लेने के बाद, मुझे लगता है कि यहाँ निर्णयों को लेकर काफ़ी चिंतित रहना चाहिए। क्या यह प्लेटफ़ॉर्म पर हमारी जानकारी सही और ताज़ा है? ये सवाल मुझे अक्सर मनाता है। 🤔
 
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