अमेरिका : भारतीय राजदूत ने सीनेटर शाहीन के साथ व्यापार समझौते और ऊर्जा सुरक्षा पर चर्चा की

अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने रविवार (26 अक्टूबर, 2025) को अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति की वरिष्ठ सदस्य जीन शाहीन के साथ एक उपयोगी बैठक हुई। उनकी चर्चा पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते, ऊर्जा सुरक्षा और तेल एवं गैस व्यापार पर केंद्रित रही।

भारतीय राजदूत ने सोशल मीडिया मंच पर इस बैठक की तस्वीर साझा करते हुए एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘हमारी चर्चा पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर पहुंचने के हमारे प्रयासों, भारत की ऊर्जा सुरक्षा और अमेरिका के साथ बढ़ते तेल एवं गैस व्यापार, और हमारे क्षेत्र की साझा भू-राजनीतिक चुनौतियों पर केंद्रित रही।'

विनय मोहन क्वात्रा ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख से भी जीन शाहीन को अवगत कराया। उन्होंने कहा, ‘हमने रचनात्मक वार्ता और कूटनीति के माध्यम से यूक्रेन में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हमारे प्रधानमंत्री के रुख को भी दोहराया।'

यह बैठक भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते की पृष्ठभूमि में हुई। एक अधिकारी ने कहा, ‘जहां तक समझौते का सवाल है, हम बहुत करीब हैं।' लेकिन भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा समझौता। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘भारत जल्दबाजी में या दबाव में कोई समझौता नहीं करेगा।

पीयूष गोयल ने कहा, 'रूसी कच्चे तेल की खरीद भारत-अमेरिका संबंधों में गतिरोध का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर कुल 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के बाद से नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच रिश्तों में तनाव आ गया है।'

इसी तरह, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा, 'भारत ने अमेरिकी कार्रवाई को अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण करार दिया है.
 
सफलता की कुंजी स्थिर संबंध है 🤝, लेकिन भारत के लिए यह समझौता तभी मान्य होगा जब हमारी बाजारों की रक्षा की जाए । अमेरिका और भारत दोनों एक ही बाजार को साझा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन रूस की कच्ची तेल की खरीद में विफलता ने हमें सोच-विचार करने पर मजबूर किया है।
 
बात ये तो बहुत अच्छी है! भारत और अमेरिका के बीच एक उपयोगी समझौता करने की कोशिश करने से हमें अच्छा व्यापार मिल सकता है और दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हो सकते हैं 🙌

लेकिन, रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख का जानना एक अच्छा विचार है और हमें यह समझने की जरूरत है कि हम अपने देश की राजनीतिक स्थिति को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं 🤔

और, पीयूष गोयल जी ने बिल्कुल सही कहा है कि भारत जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं करेगा, हमें अपने देश के हितों को ध्यान में रखना चाहिए और सोच-समझकर काम करना चाहिए 💡

इस बात पर मैं पूरी तरह से सहमत हूँ, समझौते को एक अच्छे विकल्प के रूप में देखना चाहिए और हमें अपने देश के लिए सबसे अच्छा निर्णय लेने की जरूरत है 🙏
 
अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा के साथ जीन शाहीन की बैठक 🤝 बहुत ही उपयोगी लगी। लेकिन तेल एवं गैस व्यापार पर चर्चा करने का तरीका थोड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा समझौता, और रूसी कच्चे तेल की खरीद भारत-अमेरिका संबंधों में गतिरोध का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।
 
अमेरिका की ओर से कुछ देशों में भारतीय कंपनियों को अपने उत्पादों पर 100 प्रतिशत डॉलर शुल्क लगाने की बात सुनकर तो लगता है कि वास्तव में अमेरिकी व्यवसायी अपने देश की अर्थव्यवस्था पर खेल रहे हैं। इसके पीछे क्या कारण है? क्या वे नहीं जानते कि भारत एक बड़ा बाजार है और अगर हम अपने उत्पादों को अमेरिका में बेचने की कोशिश करते हैं तो फिर हमें अपने ग्राहकों की जरूरतों को समझना पड़ता है, न कि हम अपने उत्पादों को उन पर लगाने की।
 
आजकल लोग इतने बुरे हो गए हैं… अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने जीन शाहीन से बैठक की, तो फिर लोगों ने कहा कि यह क्या कर रहा है? लेकिन विनय मोहन क्वात्रा की बैठक पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर थी, और ऊर्जा सुरक्षा और तेल एवं गैस व्यापार पर भी। तो फिर क्यों लोग इतने नकारात्मक हैं? 🤷‍♂️

और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर नरेंद्र मोदी के रुख से बात करते हुए, यह एक बहुत बड़ी बात है। और विनय मोहन क्वात्रा ने जीन शाहीन को अवगत कराया, तो फिर लोगों ने कहा कि यह क्या कर रहा है? लेकिन हमें नरेंद्र मोदी के रुख को समझना चाहिए, और उनके द्वारा की जाने वाली कूटनीति। तो फिर क्यों लोग इतने नकारात्मक हैं? 🤔
 
विनय मोहन क्वात्रा जी ने अमेरिका के साथ बैठक करने में एक बड़ी कदाचर नहीं रखा। हमें लगता है कि उन्होंने अपने देश और भारत के लिए एक अच्छा काम किया है। तेल एवं गैस व्यापार पर चर्चा करना एक अच्छी बात है, यह भारत के लिए बहुत जरूरी है। 📈

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर नरेंद्र मोदी जी के रुख को पेश किया गया, यह बहुत सही था। हमें लगता है कि अमेरिका और भारत के बीच एक अच्छा संबंध बनाने में नम्रता और समझदारी की जरूरत है। 🙏

पीयूष गोयल जी ने यह कहा, 'रूसी कच्चे तेल की खरीद भारत-अमेरिका संबंधों में गतिरोध का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।' हमें लगता है कि इस पर बात करना और समझना बहुत जरूरी है। इससे हम दोनों देशों के लिए फायदा हो सकता है। 💡
 
वाह! रूस-यूक्रेन संघर्ष की बात करने वाले ये दोनों देश कितने मुश्किल स्थिति में डूब गए हैं 🤕। उनकी तेल एवं गैस व्यापार पर चर्चा सुनकर अच्छी लगी, लेकिन रूसी कच्चे तेल की खरीद को एक बड़ा मुद्दा बनाने देना ठीक नहीं है 🚫। भारत जल्दबाजी में समझौता करने वाला नहीं है, हमें अपने हितों को सोचकर आगे बढ़ना चाहिए 🤔
 
अमेरिका में विनय मोहन क्वात्रा की इस बैठक से हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर कुछ तेजी आ सकती है 🤞। लेकिन भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा, ना तो उन्होंने पहले कहा और ना ही अब। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि दोनों देश एक-दूसरे की जरूरतों को समझेंगे और एक लाभकारी समझौता बनाएंगे। तेल एवं गैस व्यापार पर चर्चा हुई, यह अच्छी बात है कि हमारे दोनों देशों के बीच इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा। रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रुख को विनय मोहन क्वात्रा ने जीन शाहीन को बताया, यह भी अच्छी बात है कि हमारे दोनों देश एक ही दिशा में काम कर रहे हैं।
 
बिल्कुल सुनकर है कि अमेरिका में विनय मोहन क्वात्रा ने जीन शाहीन के साथ एक उपयोगी बैठक हुई है। यह अच्छा है कि दोनों ने ऊर्जा सुरक्षा और तेल एवं गैस व्यापार पर चर्चा की। लेकिन मुझे लगता है कि हमें ध्यान रखना चाहिए कि रूसी कच्चे तेल की खरीद भारत-अमेरिका संबंधों में गतिरोध का एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।
 
अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने जीन शाहीन के साथ बैठक की तो बहुत अच्छा लगा 🤩, उनकी चर्चा पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर हुई और ऊर्जा सुरक्षा और तेल एवं गैस व्यापार भी हुआ।

मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते बहुत करीब हो गए हैं, लेकिन अभी भी कुछ समस्याएं हैं जैसे कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और अमेरिकी कार्रवाई पर भारत का दृष्टिकोण।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा समझौता, और यह सच है। हमें अपने संसाधनों और व्यवसायों पर ध्यान देना चाहिए।

मुझे लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध मजबूत करने के लिए अधिक सहयोग और समझ की आवश्यकता है।
 
अमेरिकी- भारतीय संबंधों पर बहुत पेशेवर तरीके से बात हुई। राजदूत जी की बैठक का फोटो सोशल मीडिया पर देखने के बाद खुशि महसूस हुई। व्यापार समझौता, ऊर्जा सुरक्षा और तेल-गैस व्यापार जैसे सबकुछ अच्छी तरह से चर्चा में आ गए। 🤝

भारत को अपने ऊर्जा सुरक्षा के लिए अमेरिका का सहयोग अच्छा लग रहा है। हमें उम्मीद है कि दोनों देश अपनी साझा भू-राजनीतिक चुनौतियों पर समझौता कर सकें।

यह भी अच्छा है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अमेरिका और भारत के रुख समान हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों देशों ने शांतिपूर्ण समाधान की ओर एक साथ जाने का प्रयास किया। 👍

लेकिन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री जी की बात सुनने पर, जल्दबाजी में समझौता नहीं करने की बात हुई। हमें उम्मीद है कि दोनों देश अपने मतभेदों को समझकर समाधान निकाल सकें। 🤞
 
अमेरिकी राजदूत विनय मोहन क्वात्रा की इस बैठक ने मुझे उम्मीद दिलाई है कि भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार होगा। हमें अपने ऊर्जा सुरक्षा, तेल एवं गैस व्यापार, और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौतों पर काम करने की आवश्यकता है। 🤝 #भारतAmérica संबंध #ऊर्जासुरक्षा #तेलगैसव्यापार #व्यापारसमाधान
 
अमेरिका में इस बैठक से पहले, मैंने सोचा, यह तो अच्छा है, दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत करना ही अच्छा है 🤝 लेकिन जब रूस-यूक्रेन संघर्ष की बात आती है, तो मैंने सोचा यह तो एक बहुत बड़ा मुद्दा है... और दोनों देशों ने अलग-अलग रुख लिए हुए हैं। क्या यह समझौता व्यापार की जगह सैन्य हिस्सेदारी के लिए बन रहा है? मुझे लगता है, भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा, समझौते को धीरे-धीरे और सोच-समझकर करना चाहिए।
 
अमेरिकी-भारत संबंधों पर बातें करने के लिए प्रयास हुए हैं फिर भी हमें समझौते में नाम नहीं लेने का डर है 🤔। समझौते के सवाल पर बहुत करीब आ गए हैं, लेकिन जल्दबाजी में ये समझौता नहीं होगा। रूसी कच्चे तेल की खरीद से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ गया है, यह एक बड़ा मुद्दा है। शायद दोनों देशों को अपने तरीके से समझौता करने का समय और स्थिति अच्छी होगी। 😐
 
बिल्कुल, तो देखिए, अमरिका के साथ हमारी व्यापार समझौते की बात कर रहे हैं... लेकिन ये समझौता तय करने में बहुत समय लगेगा, जैसे कि पीयूष गोयल जी ने कहा है। और फिर भी यह समझौता रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच होने वाली तनाव से बचने में मदद कर सकता है, लेकिन हमें पहले अपनी ऊर्जा सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
 
अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा की बैठक के बाद तो मुझे थोड़ी आशा हुई। ये समझौता हमेशा से लोकप्रिय रहा है, लेकिन पीयूष गोयल जी ने कहा है कि भारत जल्दबाजी में नहीं करेगा, तो यह अच्छा है 🤞। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने रूसी कच्चे तेल की खरीद और ट्रंप की कार्रवाई से रिश्तों में तनाव आ गया है, लेकिन यह भारत को फायदा नहीं देगा। शायद अमेरिकी सरकार अपने मुद्दों पर थोड़ी समझदारी करेगी।
 
Back
Top