Bihar Election 2025:जीतन राम मांझी ने RJD के खिलाफ खोला मोर्चा, तेजस्वी के वादो पर कसा तंज!

बिहार में आगामी चुनावों से पहले दिलचस्प राजनीतिक खेल हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर कई तीखे हमले किए हैं, जिनमें से एक यह था कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव को "दलित विरोधी" बताते हुए कहा कि उनके शासनकाल में अपराध और अपहरण एक उद्योग बन गया था।

मांझी ने यह आरोप लगाया कि लालू-राबड़ी शासनकाल में बिहार की जनता पर अत्याचार किया गया, जिससे वह इसे "आतंक का राज" बना दिया। इसके अलावा, उन्होंने तेजस्वी को "पागल" कहा था, जब उसने कहा था कि भाजपा और जदयू एससी/एसटी समुदाय के प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं।

मांझी ने तेजस्वी की राजनीतिक विरासत पर सवाल उठाकर कहा कि उसके पिता लालू यादव ने ही एक दलित को मुख्यमंत्री पद से हटाया था। इसके अलावा, जब तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की "अचेत अवस्था" पर टिप्पणी की, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह दर्शाती है कि तेजस्वी खुद चेतनहीन हो गए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के हमले बिहार की जनता को आकर्षित करने के लिए जीतन राम मांझी की तरफ से किये जा रहे हैं।
 
तेजस्वी यादव पर लगाए गए आरोपों को देखकर लगता है कि यह तो बिल्कुल सही है कि लालू-राबड़ी शासनकाल में अपराध और अपहरण एक बड़ा समस्या था, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि तेजस्वी खुद तो उनके इस विरोधी का बेटा ही हो। दिलचस्प बात यह है कि जीतन राम मांझी ने अपने हमलों से बिहार की जनता को आकर्षित करने की कोशिश की है, लेकिन यह सवाल उठता है कि उनके हमलों से वास्तव में क्या होगा। 🤔
 
अरे, यह तो बहुत दिलचस्प है कि जेटन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर इतने तीव्र हमले किए हैं और लालू प्रसाद यादव का भी आरोप लगाया गया है। यह साबित होता है कि बिहार की राजनीति में खेलों की बढ़ती जाती है, जहां हर व्यक्ति अपने दुश्मनों पर हमला कर सकता है। लेकिन मुझे लगता है कि यह सिर्फ तेजस्वी को अपने प्रतिद्वंद्वी के रूप में रखने की कोशिश की जा रही है, न कि उनके विचारों और नीतियों पर सवाल उठाने की।
 
अरे भाई, यह तेजस्वी पर हमले ऐसे ही दिख रहे हैं जैसे फिल्म के गाने में रेमिक्स कर रहे हैं 🎵। क्या ये हमले बिहार की जनता को आकर्षित करने के लिए किये जा रहे हैं, तो फिर लोगों को लगता है कि तेजस्वी में ऐसी चीजें नहीं हैं? यह तो यादव परिवार के नाम पर ही लड़ रहे हैं।

क्या हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि जीतन राम मांझी ने अपने शब्दों को सोच-समझकर चुना है? ये हमले तो बस प्रचार के लिए ही किये जा रहे हैं। तेजस्वी पर इतने तीखे हमले करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि यह उनकी राजनीतिक विरासत को भी नुकसान पहुंचाएगा।

लेकिन, भाई, यह सब देखकर मुझे लगता है कि हमें अपनी आंखें खुल कर देखनी चाहिए। क्या बिहार की जनता इन हमलों से आकर्षित होगी, या फिर लोग उन्हें ध्यान में रखेंगे? तो एक बात तय है, हमें अपने नेताओं पर विश्वास रखना चाहिए।
 
मुझे लगता है कि ये खेल बिल्कुल भ्रष्टाचार का परिचय दे रहा है। तेजस्वी और लालू-राबड़ी को आरोप लगाने से पूरा उद्देश्य जनता को धोखाधड़ी करना है, न कि सच्चाई बताना। मैं यकीन नहीं कर सकता कि जीतन राम मांझी के पास इतनी ठिकाने पर जानकारी है कि वह ऐसे आरोप लगा सके।

मुझे लगता है कि चुनावों से पहले भ्रष्टाचार बढ़ जाता है, और जनता को धोखाधड़ी करने के लिए यह खेल किया जाता है। तेजस्वी को निश्चित रूप से अपनी राजनीतिक विरासत पर सवाल उठाने का अधिकार है, लेकिन इससे पहले कि उन्हें ऐसा करने का मौका मिले, उनकी बातों को पूरी तरह से सुनना चाहिए।
 
वाह, यह तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव पर मांझी जी के हमलों की बात है 🤔। मुझे लगता है कि मांझी जी बस चुनावों से पहले ही खेलने लगे हैं और जनता को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन मेरी राय में तेजस्वी यादव पर हमले करने से पहले उनकी अपनी सरकार चलाने की कोशिश करनी चाहिए थी, नहीं तो सब कुछ अच्छा निकलता।

मुझे लगता है कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव दोनों ही अपनी सरकार चलाने में सामंजस्य नहीं बन पाए, इसलिए आतंक और अपराध को एक उद्योग बना दिया गया। लेकिन यह तो बहुत बड़ा आरोप है, कोई भी आरोप लगाने से पहले सबूतों को देखना चाहिए था।

अब चुनावों से पहले बिहार में ऐसी ही राजनीति चल रही है, जबरदस्त जंग होने वाला है... और यह तो लोगों के बीच एक अच्छा मुद्दा नहीं बनेगा, बस दूसरों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
 
अरे, ये तेजस्वी यादव के खिलाफ फेका गया है... जीतन राम मांझी ने तो बस बिहार की जनता को ध्यान देने के लिए खेल रहे हैं। देखो, उन्होंने अपने पिता लालू यादव और नीतीश कुमार पर कई आरोप लगाए हैं, लेकिन फिर भी वह कहीं नहीं गया। तेजस्वी को "पागल" कहने से और मांझी को लालू-राबड़ी शासनकाल का दोषी पाने से उनके वोटों को खोने का कोई तरीका नहीं है।
 
अरे, ये तेजस्वी और लालू की बात नहीं कर रहे हैं... उनके शासनकाल में अपराध बढ़ गया था, लेकिन यह भी सच है कि पूरे देश में अपराध बढ़ा है।

और ये तेजस्वी को "पागल" कहकर बोलते हैं... इसका अर्थ तो बस यह नहीं है, तेजस्वी हाल ही में दिल्ली में सड़कों पर जुटाए गए लोगों की बात कर रहे थे, जो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

लेकिन, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि तेजस्वी के पिता ने एक दलित को मुख्यमंत्री पद से हटाया था, लेकिन सरकारें मिलकर काम कर सकती हैं और हमेशा विकास पर ध्यान देना चाहिए।

और ये जीतन राम मांझी की बात नहीं समझ रहे हैं... उन्हें तो बस यह पता लगाना चाहिए कि उनके हमलों से लोग कैसा महसूस करते हैं।
 
अरे देखो, ये तेजस्वी को पागल पुकारते हुए और लालू को दलित विरोधी कहते हुए, लगता है कि यहां सिर्फ राजनीति होने के नाम पर ही खेल रहे हैं! चाहते हैं कि दूसरों को झगड़ा करें और तालाबंदी करें, लेकिन कोई सवाल नहीं पूछा जा रहा है कि क्या उनके पास सोच का काम है? मुझे लगता है कि यहां किसी को भी खेलने का मौका न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण नहीं है।
 
मुझे लगता है कि यह दिलचस्प है कि लोग अपने विरोधी को "पागल" कहकर उनकी राजनीतिक विरासत पर हमला कर रहे हैं। मैं समझ नहीं पाया कि क्यों तेजस्वी को इतना नुकसान पहुँचाया जा रहा है। और ये बात, कि लालू यादव को "दलित विरोधी" बताया गया है, तो मुझे लगता है कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी है। क्योंकि लालू यादव ने बहुत कुछ बिहार के लिए किया है और उनके शासनकाल में सुधार हुआ था। मुझे लगता है कि जीतन राम मांझी को अपने विरोधी को नकारने की बजाय, उनसे बात करनी चाहिए।
 
मेरा विचार है कि ये सब कुछ तेजस्वी और उनके समर्थकों को मंत्री जीतन राम मांझी के खिलाफ ध्यान आकर्षित करने के लिए किया जा रहा है। 🤔

पहले तो मैं यह सवाल करता हूं कि क्या हमारे देश में अभी भी ऐसे लोग हैं जो लालू प्रसाद यादव को "दलित विरोधी" कह सकते हैं। उनके शासनकाल के बारे में तो बहुत से सवाल हैं, लेकिन उन्हें यह भी नहीं देना चाहिए कि वह एक गलत सरकार थी। 🚫

और तेजस्वी यादव पर हमले करने से कुछ नहीं होता। हमें समझना चाहिए कि उनकी राजनीतिक विरासत में क्या सच्चाई है और क्या यह सब बस मीडिया का खेल है। 📰

मेरा अनुभव है कि जब आप किसी को नकारात्मक सोच देते हैं, तो आपकी राजनीतिक जीवन में कोई अच्छा नहीं होता। लोगों को यह महसूस करना चाहिए कि हम उनकी बात नहीं समझ रहे हैं। 🙅‍♂️
 
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